भ्रष्टों की ढाल बनी सरकार!
चुनाव में भ्रष्टाचार को प्रमुख
मुद्दा बनाकर सत्ता में आई मौजूदा सरकार भी भ्रष्ट अधिकारियों के विरूद्ध अभियोजन
स्वीकृति देने में मौन है। एसीबी की ओर से
पाली। चुनाव में भ्रष्टाचार को प्रमुख मुद्दा बनाकर सत्ता में आई मौजूदा सरकार भी भ्रष्ट अधिकारियों के विरूद्ध अभियोजन स्वीकृति देने में मौन है। एसीबी की ओर से अभियोजन प्रकरणों की लंबित सूची में इस बात का खुलासा हुआ है। इसमें अधिकांश अधिकारियों और कार्मिकों को उनके ही विभागाध्यक्ष बचाने में जुटे हुए हैं। पाली, जालोर और सिरोही में बीते ढाई साल से 80 प्रतिशत से अधिक मामलों को अभियोजन की स्वीकृति का इंतजार है।
तीनों जिलों में करीब कुल 48 व्यक्ति भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की हिट-लिस्ट में है। इनमें से कई कार्मिक तो ऎसे भी हैं जो रंगे हाथों रिश्वत लेते पकड़े गए, फिर भी सरकार का इन अधिकारियों से न जाने कैसा मोह है जो भंग होने का नाम नहीं ले रहा। भ्रष्ट अधिकारियों की इस सूची में सिरोही के तत्कालीन कलक्टर से लेकर सीमएचओ, पटवारी ग्राम सेवक सहित अन्य कार्मिक शामिल है। ऎसे में यह तो स्पष्ट है कि ये सभी अटकी स्वीकृतियां भ्रष्टाचार को काफी हद तक बढ़ने में मदद कर रही है।
विभागाध्यक्ष स्तर पर लंबित मामले
विभागाध्यक्ष के स्तर पर 44 व्यक्तियों के विरूद्ध अभियोजन की स्वीकृति का इंतजार है।
राजस्व विभाग के 9
पंचायती राज के 4
शिक्षा विभाग के 10
स्थानीय निकास से संबंधित 11
बिजली निगम के 3
सहकारिता विभाग के 4
परिवहन विभाग के 3
रंगे हाथों पकड़े गए भ्रषें पर भी नहीं हो पा रही कार्रवाई
तीनों जिलों में कुल 48 प्रकरण स्वीकृति के लिए लंबित है। इसमें 12 व्यक्ति ऎसे हैं जो ट्रेप हुए थे, लेकिन इनके विरूद्ध भी सरकार अभियोजन की स्वीकृति नहीं दे रही है। ऎसे में यह स्पष्ट है कि जो रंगे हाथों पकड़े जाते हैं उनके मन में भी किसी प्रकार का खौफ पैदा करने की मंशा सरकार नहीं रखती। इसी प्रकार पद के दुरूपयोग के सर्वाधिक 29 मामले हैं। रिश्वत मांग करने की शिकायत और आकस्मिक चैकिंग में पाई गई अनियमितताओं की अभियोजन स्वीकृति के 3-3 मामले लंबित है। वहीं आय से अधिक सम्पति का एक मामला लंबित चल रहा है।
डीओपी स्तर पर यह है लंबित
सिरोही के तत्कालीन जिला कलक्टर गिरिराज सिंह के विरूद्ध पद के दुरूपयोग की अभियोजन स्वीकृति 31 जनवरी 2007 से लंबित है।
जैतारण क्रय-विक्रय सहकारी समिति के प्रशासक भोलाराम के विरूद्ध भी पद के दुरूपयोग की शिकायत थी, स्वीकृति 19 जून 2013 से लंबित है।
भीनमाल में पीडब्ल्यूडी के एईएन सुदेश सिंह रिश्वत लेते पकड़े गए थे। 27 जून 2014 से स्वीकृति अटकी है।
डॉ. सुरेन्द्र कुमार जैन सीएमएचओ भी रंगे हाथों पकड़े गए थे। 11 दिसम्बर 2014 से अभियोजन स्वीकृति का इंतजार है।
रिमांडर तो भिजवाते रहते हैं
अभियोजन स्वीकृति के लिए हम प्रकरण भेजते हैं। समय पर जिनके प्रकरण की स्वीकृति नहीं मिलती, उसके लिए रिमाइंडर और डीओ लेटर भी भेजते हैं। डीओपी और एचओडी स्तर पर यह निर्णय होता है। स्मिता श्रीवास्तव, महानिरीक्षक, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, जयपुर
अविनाश केवलिया