कश्मीर में श्रीनगर से 27 किलोमीटर दूर तुल्ला मुल्ला गांव में स्थित
खीर भवानी मंदिर देश के स्वयंसिद्ध तीर्थस्थलों में एक माना जाता है। यहां मां आदिशक्ति की भवानी रूप में पूजा होती है। कहा जाता है कि इनकी आराधना से व्यक्ति को साक्षात सरस्वती का वरदान मिलता है और उसे ज्ञान प्राप्त होता है।
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इसलिए कहते हैं खीर भवानीखीर भवानी मंदिर में मां की पूजा लगभग सभी कश्मीरी हिन्दू और बहुत से ग़ैर-कश्मीरी हिन्दू भी, करते हैं। यहां प्रसाद के रूप में भक्तों द्वारा केवल एक भारतीय मिठाई खीर और दूध ही चढ़ाया जाता है। विशेष तौर पर बसंत ऋतु में यह परंपरा थी, इसलिए इनका नाम ‘खीर भवानी’ पड़ा। इन्हें महारज्ञा देवी भी कहा जाता है।
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रावण भी करता था इस प्रतिमा की पूजा खीर भवानीस्थानीय मान्यताओं के अनुसार मां खीर भवानी सतयुग में रावण की लंका में पहले निवास करती थी जहाँ वह उन्हें नित्य प्रति खीर का ही भोग लगता था और बाद में देवी का स्थानंतरण होने पर भी ये परम्परा जीवित रही सो यहाँ का नाम खीर भवानी पड़ गया। वास्तविक रूप से खीर भवानी के मंदिर को 1912 में महाराजा प्रताप सिंह द्वारा बनवाया गया था। बाद में इस मंदिर का पुनर्निर्माण महाराजा हरि सिंह ने करवाया।
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ये भी पढ़ेः जब ज्योतिषियों से न पड़े पार तो इस उपाय से तुरंत दूर होगी बाधाइस मंत्र से होती हैं इनकी पूजाप्रातःकाल के समय इनकी पूजा करते समय मंत्र पढ़ा जाता है, जो इस प्रकार है, ‘नमस्ते शारदा देवी, कश्मीर पुर्वासिनी, प्रार्थये नित्यं विद्या दानं च दे ही मे’, यानि ‘हे शारदा देवी, कश्मीर में रहने वाली और यहाँ की रक्षा करने वाली, मैं प्रार्थना करता हूँ कि मुझे विद्या दान करे’।
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