देश के 12 ज्योर्तिलिंगों के दर्शन से जन्म-जन्मान्तरों के पाप नष्ट होकर मोक्ष की प्राप्ति होती है
देश के 12 ज्योर्तिलिंगों को शक्तिपीठ माना गया है। कहा जाता है कि इन तीर्थ स्थलों के दर्शन से जन्म-जन्मान्तरों के पाप नष्ट होकर मोक्ष की प्राप्ति होती है। परन्तु इन सभी ज्योर्तिलिंगों के बीच एक बड़ा ही रोचक संबंध भी है जिसकी जानकारी हाल ही में मिली है। देश के 12 ज्योतिर्लिगों में एक विश्व प्रसिद्ध
भगवान महाकालेश्वर में अगले साल होने वाले सिंहस्थ के पहले उज्जैन से भारत के अन्य ज्योतिर्लिंगो की दूरियों के प्राचीन रोचक आंकडे सामने आए है। हालांकि अब कुछ नए मार्ग और बायपास बनने से इन दूरियों में बदलाव आ गया है।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार अतिप्राचीन मंदिर
भगवान महाकालेश्वर से प्रदेश के विभिन्न तीर्थ स्थलों और देश के अन्य तीर्थ स्थलों की दूरी का भी एक अलग महत्व है। महाकालेश्वर मंदिर से गुजरात के विख्यात
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की दूरी 777 किलोमीटर, मध्यप्रदेश स्थित ओंकारेश्वर की 111 किलोमीटर, महाराष्ट्र स्थित भीमाशंकर की 666 कि.मी., उत्तरप्रदेश स्थित काशी विश्वनाथ की 999 कि.मी., महाराष्ट्र स्थित मल्लिकार्जुन की 1000 कि.मी., उत्तराखंड के केदारनाथ की 888 कि.मी., महाराष्ट्र के ˜यंबकेश्वर की 555 कि.मी., झारखंड स्थित बैजनाथ की 1000 कि.मी., तमिलनाडु स्थित रामेश्वरम की 2000 कि.मी और महाराष्ट्र स्थित घृष्मेश्वर की 555 कि.मी. है।
हालांकि वर्तमान में कुछ नए मार्गों और बायपास के बन जाने से इन ज्योतिर्लिंगों की दूरियों में आंशिक बदलाव हुआ है। अब उज्जैन से मल्लिकार्जुन 1090 कि.मी., केदारनाथ 902 कि.मी., ˜यंबकैश्वर 503 कि.मी., घृष्मेश्वर 533 किमी., रामेश्वरम 2091 किमी. और ओंकारेश्वर 113 किमी. दूरी पर स्थित हैं।