भगवान गणेश के प्रसिद्ध मंदिरों में एक उच्ची पिल्लयार मंदिर (Ucchi Pillayar Temple) की कहानी रावण के भाई विभीषण से जुड़ी हुई है
भगवान गणेश के प्रसिद्ध मंदिरों में एक
उच्ची पिल्लयार मंदिर (Ucchi Pillayar Temple) की कहानी रावण के भाई विभीषण से जुड़ी हुई है। तमिलनाडू के तिरुचिरापल्ली (त्रिचि) नामक स्थान पर रॉक फोर्ट पहाड़ी की चोटी पर स्थापित यह मंदिर जमीन से लगभग 273 फुट की ऊंचाई पर है। मंदिर तक पहुंचने के लिए अंदाजन 400 सिढ़ीयों की चढ़ाई करनी पड़ती है। कहा जाता है कि यहीं पर विभीषण ने गणेशजी के सिर पर वार किया था।
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ये भी पढेः बुधवार को करें गणेशजी के ये उपाय, तुरंत हल होगी हर समस्या ये है कहानी कहा जाता है कि रावण के वध के बाद भगवान राम ने विभीषण को भगवान विष्णु के ही अवतार रंगनाथ की मूर्ति उपहारस्वरूप प्रदान की। विभीषण इस मूर्ति को लंका के एक मंदिर में स्थापित करना चाहता था परन्तु उसके राक्षसकुल का होने के कारण देवता इस बात के खिलाफ थे। ऐसे में सभी देवताओं ने गणेशजी से सहायता करने की प्रार्थना की।
मूर्ति को लेकर विभीषण लंका के लिए रवाना हुआ। यात्रा के दौरान वह त्रिचि पहुंचा जहां कावेरी नदी को देखकर उसमें स्नान करने का विचार उसके मन में आया। विभीषण ऐसे में किसी ऐसे व्यक्ति को ढूंढने लगा तो उस मूर्ति को संभाल लें। क्योंकि अगर मूर्ति एक बार जमीन पर रख दी गई तो वह हमेशा के लिए वहीं स्थापित हो जाती।
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ये भी पढ़ेः घर में गणेशजी की प्रतिमा स्थापना में ध्यान रखें इन बातों का, सदा मंगल होगा ये भी पढ़ेः अगर आपके हाथ में हैं ये निशान तो अगले कुछ ही समय में आप बनेंगे करोड़पति इसी समय गणेशजी वहां पर एक बालक का स्वरूप बनाकर आए। विभीषण ने बालक को भगवान रंगनाथ की मूर्ति पकड़ा दी और उसे जमीन पर न रखने की प्रार्थना की। विभीषण के जाने पर गणेश ने उस मूर्ति को जमीन पर रख दिया। वापस आने पर विभीषण ने प्रतिमा को जमीन पर रखे देखा।
विभीषण यह देख कर क्रोध से पागल हो गया और उस बालक की खोज करने लगा। बालक बने गणेशजी भागते हुए पर्वत के शिखर पर पहुंच गए, आगे रास्ता न होने पर भगवान गणेश उसी स्थान पर बैठ गए। जब विभीषण वे उस बालक को देखा तो क्रोध में उसके सिर पर वार कर दिया। विभीषण के ऐसा करते ही गणेशजी ने उसे अपने असली रूप दिखाया। उनके इस रूप को देखकर विभीषण ने उनसे क्षमा मांगी और वहां से चले गए। तब से भगवान गणेश उसी पर्वत की चोटी पर ऊंची पिल्लयार के रूप में स्थित है।
गणेशजी की प्रतिमा के सिर पर आज भी है चोट का निशान कहा जाता है कि विभीषण ने भगवान गणेश के सिर पर जो वार किया था, उस चोट का निशान आज भी इस मंदिर में मौजूद भगवान गणेश की प्रतिमा के सिर पर देखा जा सकता है।