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आप को एक और झटका, मेधा पाटकर ने दिया इस्तीफा

Published: Mar 28, 2015 07:37:00 pm

सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने शनिवार को आम आदमी पार्टी (आप) से इस्तीफा दे दिया है

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नयी दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा असंतुष्ट नेता योगेंद्र यादव व प्रशांत भूषण को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकालने के बाद पार्टी की महाराष्ट्र से वरिष्ठ नेता और नर्मदा बांध के खिलाफ आंदोलन चलाने वाली मेधा पाटकर ने शनिवार को पार्टी से नाता तोड़ लिया।

आनन-फानन में बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में पाटकर ने पार्टी की प्रतिक्रिया पर अपना दर्द बयां करते हुए कहा, “आप की बैठक में जो कुछ हुआ, वह अनुचित है और मैं उसकी निंदा करती हूं।” पाटकर ने कहा कि बैठक के दौरान हिंसा और जो कुछ भी वहां हुआ, वह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के प्रति अशिष्टता दर्शाता है और इससे आसार सही नहीं लग रहे, जिसके कारण मैंने पार्टी छोड़ने का फैसला किया है।

खबर है कि पाटकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के काम करने के रवैये से नाखुश थीं। पाटकर के अलावा, कई समूहों तथा जनांदोलन के राष्ट्रीय समन्वय के कई सदस्यों द्वारा ऎसा ही करने की उम्मीद जताई जा रही है। उल्लेखनीय है कि छह मार्च को आप नेता मयंक गांधी ने एक ब्लॉग में आप नेता अरविंद केजरीवाल की कार्यशैली पर ऊंगली उठाई थी और दावा किया था कि उन्हें निशाना बनाया जा रहा है।

गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी (आप) ने पिछले महीने दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारी जीत के बाद सरकार बनाई थी। लेकिन उसी पार्टी ने अपने दो महत्वपूर्ण नेताओं -योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण- को शनिवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकाल दिया। पार्टी ने योगेंद्र के समर्थकों -आनंद कुमार और अजीत झा- को भी 21 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटा दिया है। योगेंद्र ने बैठक से बाहर आने के बाद कहा, राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में लोकतंत्र की हत्या हुई है। वहीं प्रशांत ने कहा कि जो लोग केजरीवाल से असमत थे, उन्हें पीटा गया और उन्हें बैठक से निकाल दिया गया।

योगेंद्र और प्रशांत ने केजरीवाल को एक अराजक व्यक्ति करार दिया और उन पर पार्टी के सिद्धांतों से दूर जाने का आरोप लगाया। दूसरी तरफ आप ने उन पर दिल्ली चुनाव में पार्टी को हराने की कोशिश का आरोप लगाया है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में करीब 300 लोग मौजूद थे, जहां दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने योगेंद्र और प्रशांत को हटाने का प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव के साथ ही 2012 में अस्तित्व में आई पार्टी के दो प्रमुख संस्थापक सदस्य राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटा दिए गए।

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