अंसारी माफी मांगें या पद छोड़कर राजनीति करें : विहिप
Published: Sep 01, 2015 05:21:00 pm
विहिप के संयुक्त सचिव डॉ सुरेन्द्र जैन ने कहा कि डॉ अंसारी
ने जो बयान दिया है वह उपराष्ट्रपति का नहीं, बल्कि राजनीतिक मुस्लिम नेता का बयान
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नई दिल्ली। विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने मुसलमानों के साथ भेदभाव दूर करने संबंधी उपराष्ट्रपति डॉ हामिद अंसारी के बयान की कड़ी निंदा करते हुए मंगलवार को कहा कि उन्हें देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए या फिर त्यागपत्र देकर खुलकर राजनीति में उतरना चाहिए।
विहिप के संयुक्त सचिव डॉ सुरेन्द्र जैन ने कहा कि डॉ अंसारी ने जो बयान दिया है वह उपराष्ट्रपति का नहीं, बल्कि राजनीतिक मुस्लिम नेता का बयान है। उन्होंने अपने पद का दुरूपयोग किया है। “हम उपराष्ट्रपति के पद का पूरा सम्मान करते हैं, लेकिन उनके घोर साम्प्रदायिक बयान की कड़ी निंदा करते हैं। उन्हें इसके लिए देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए और अगर वह ऎसा नहीं करते हैं तो उन्हें त्यागपत्र देकर खुलकर राजनीति में उतरना चाहिए।”
उल्लेखनीय है कि डॉ अंसारी ने सोमवार को एक कार्यक्रम में कहा था कि केंद्र सरकार को मुस्लिमों के साथ हो रहे भेदभाव को दूर करना चाहिए। देश में मुस्लिमों का बड़ा तबका अब भी हाशिए पर है। उनके विकास की कई योजनाएं तो बनीं, लेकिन अब उस पर अमल भी होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को “सबका साथ सबका विकास” की तर्ज पर मुस्लिमों की पहचान एवं सुरक्षा से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए “सकारात्मक कदम” उठाने चाहिएं। डॉ जैन ने कहा कि उपराष्ट्रपति को बताना चाहिए कि कांग्रेस के 60 वर्ष के कार्यकाल में मुस्लिमों के साथ कौन-कौन से भेदभाव किए हैं जिन्हें वह मोदी सरकार से दूर करने की अपेक्षा रखते हैं। भारत में मुस्लिम समुदाय को जितने अधिकार प्राप्त हैं, उतने हिन्दुओं को भी नहीं हैं। किसी भी मुस्लिम देश के नागरिकों को उतने अधिकार प्राप्त नहीं हैं जितने कि भारत के मुस्लिमों को।
विहिप नेता ने कहा कि ऎसा लगता है कि डॉ अंसारी भारत के मुस्लिम समाज को असंतोष की अंधी गली में धकेलना चाहते हैं। संविधान में प्रावधान होने के बावजूद देश में धर्म परिवर्तन और गोहत्या पर पाबंदी नहीं है। मुस्लिम विद्यार्थियों के लिए करोड़ों रूपए की छात्रवृत्ति और रियायती दर पर ऋण की सुविधा उपलब्ध है।
उन्होंने कहा कि पिछले सौ साल से भारत की राजनीति मुस्लिमों के इर्द गिर्द घूम रही है। उन्हें खुश करने के लिए देश का विभाजन स्वीकार किया गया। अब डॉ अंसारी मुस्लिमों के लिए हिन्दुओं से और क्या कुर्बानी चाहते हैं। वह अपने पद का दुरूपयोग कर राजनीति कर रहे हैं। अगर उन्हें राजनीति ही करनी है तो उपराष्ट्रपति का पद त्यागकर खुलकर राजनीति में आना चाहिए।