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राजनीतिक लाभ के लिए सेना के बलिदानों का इस्तेमाल कर रहा केंद्र : AK

Published: Oct 26, 2016 07:43:00 pm

उन्होंने लिखा है, कमजोर एक रैंक एक पेंशन(ओआरओपी), अक्षमता पेंशन में कटौती और अब यह, क्या मोदी सरकार सेना विरोधी नहीं है

Arvind Kejriwal

Arvind Kejriwal

नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधा और उसे सेना विरोधी करार दिया। उन्होंने केंद्र सरकार का वर्ष 1984 के दंगों के लिए गठित विशेष जांच दल के कार्यकाल को एक और विस्तार देने को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला। केजरीवाल ने एक ट्वीट में आरोप लगाया कि केंद्र सरकार राजनीतिक लाभ के लिए सेना के बलिदानों का सिर्फ इस्तेमाल कर रही है।

उन्होंने लिखा है, कमजोर एक रैंक एक पेंशन(ओआरओपी), अक्षमता पेंशन में कटौती और अब यह। क्या मोदी सरकार सेना विरोधी नहीं है? उनलोगों ने सेना की कुर्बानी को राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग किया है। केजरीवाल का ट्वीट मीडिया की एक रपट के जवाब में आया है, जिसका जिक्र उन्होंने अपने ट्वीट में किया है। उन्होंने ट्वीट में कहा है कि सशस्त्र बल रक्षा मंत्रालय से जारी उस पत्र को लेकर खिन्न है, जो उनके और असैनिक समकक्षों के रैंक में विषमता के संदर्भ में है।

रपट के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय के परिपत्र ने सशस्त्र सेनाओं के अधिकारियों का दर्जा पहले से घटा दिया है। ओआरओपी योजना का मकसद सेवानिवृत्त हो चुके सशस्त्र कर्मियों का पेंशन सेवानिवृत्त हो रहे उनके सशस्त्र कर्मियों के बराबर करना है।

भारतीय सैनिक पूर्व अपंगता की स्थिति में अपंगता पेंशन अपने आखिरी वेतन के बराबर पाते हैं। सरकार ने हाल में उन्हें खंड पद्धति यानी स्लैब सिस्टम में बांट दिया है। आलोचकों के मुताबिक, उससे उनकी पेंशन बहुत घट जाएगी। बाद में रक्षा मंत्रालय ने सातवें वेतन आयोग की विसंगति समिति से पुरानी पद्धति को ही जारी रखने को कहा है।

एक और ट्वीट में केजरीवाल ने 1984 के दंगों की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) को लेकर केंद्र सरकार पर हमला किया है। केजरीवाल ने ट्वीट किया, विस्तार पर विस्तार अब तक परिणाम शून्य। स्वाभाविक है (न्याय दिलाने का) कोई इरादा नहीं है। मंशा 1984 दंगों के दोषियों को बचाना है।

मीडिया रपट में कहा गया है कि गृह मंत्रालय ने जो एसआईटी गठित की है, उसे फरवरी 2017 तक के लिए समय विस्तार दे दिया गया है। एसआईटी का गठन वर्ष 2015 के फरवरी में किया गया था और शुरू में इसे रपट पेश करने के लिए छह माह समय दिया गया था। बाद में इसका कार्यकाल दो बार बढ़ाया जा चुका है।
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