नई दिल्ली। पांच राज्यों में अगले हफ्ते से विधान सभा चुनाव के लिए मतदान शुरू हो जाएंगे। ऐसे में सभी पार्टियां अपनी-अपनी जीूत के दावे के साथ प्रचार-प्रसार में जोरों से लगी हुई हैं। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव होने है जिनमे दो प्रमुख राज्य है पश्चिम बंगाल और असम। सर्वे करने वाले पता लगाने में जुट गए है कि इन दो राज्यों में किस पार्टी की लहर होगी। एक सर्वे में सामने आया है कि असम में जहां मोदी की आंधी गोगोई के नेतृत्व में मौजूदा कांग्रेस सरकार को उड़ा सकती है, वहीं पश्चिम बंगाल में लोगों का झुकाव दूसरी बार भी दीदी की तरफ ही नजर आ रहा है।
असम से नॉर्थ-ईस्ट में खुलेगा बीजेपी का खाता
असम में अगर बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब हो जाती है, तो यह नॉर्थ-ईस्ट में पार्टी की पहली सरकार होगी। असम में 2011 में कांग्रेस ने 78 सीटें हासिल कर जीत दर्ज की थी, वहीं बीजेपी को सिर्फ 6, एजेपी को 9, बीपीएफ को 12, एयूडीएफ को 18 और अन्य पार्टियों को 3 सीटें मिली थीं। लेकिन, सर्वे के मुताबिक इस बार कांग्रेस को 36 सीटें, बीजेपी, एजेपी, बीपीएफ को मिलाकर 78 सीटें, एयूडीएफ को 11 सीटें और अन्य पार्टियों को भी 11 सीटें मिलने की संभावना है।
बाग्लादेशी शरणार्थियों का मुद्दा पलटेगा बाजी
सर्वे में असम की जनता से जब गोगोई के काम का रिव्यू लिया गया तो करीब 40% लोगों ने गोगोई के काम को अच्छा बताया, 33% ने उनके काम को ऐवरेज माना तो करीब 26% नाखुश नजर आए। असम के लिए यूपीए और एनडीए में से किसने बेहतर काम किया, इस बारे में कांटे की टक्कर देखने को मिली। बांग्लादेशी शरणार्थियों के मुद्दे का इस चुनाव पर फर्क पड़ सकता है ऐसा 52% लोगों ने माना।
असम में मुख्यमंत्री पद के लिए 39% जनता ने गोगोई को अपनी पहली पसंद बताया, जबकि 29% सर्बानंद सोनोवाल के समर्थन में दिखे।
पश्चिम बंगाल में फिर होगी दीदी की वापसी
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में इस बार दीदी की वापसी के ही संकेत मिल रहे हैं। 2011 में हुए विधानसभा चुनाव में जहां तृणमूल कांग्रेस ने 294 में से 184 सीटें हासिल की थीं, वहीं इस सर्वे के मुताबिक इस बार पार्टी 178 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रहेगी। लेफ्ट और कांग्रेस के गठबंधन को इस बार 110 सीटें मिलने की उम्मीद है। वहीं, केंद्र में शासन करने वाली प्रमुख पार्टी बीजेपी के खाते में भी 1 सीट गिर सकती है।
ममता के काम से राज्य में 58% लोग संतुष्ट नजर आए। वहीं 37% लोगों ने कहा कि उन्होंने कुछ खास काम नहीं किया।
50% वोटरों ने माना कि शारदा चिटफंड घोटाले और रोस वैली कांड से ममता की सरकार की छवि बिगड़ी है। लेकिन 38% ने कहा कि ममता कि छवि पर इससे कोई असर नहीं पड़ा है। पश्चिम बंगाल में 62% लोग चाहते हैं कि ममता फिर से मुख्यमंत्री बनें। 12% बुद्धदेब भट्टाचार्य और 3% लोग रूपा गांगुली को सीएम के तौर पर देखना चाहते हैं।
जब जनता से पूछा गया कि राहुल और बुद्धदेब को मिलकर रैली करनी चाहिए या नहीं, तो 43% लोगों ने असमंजस की स्थिति जाहिर की, 38% ने इसपर हामी भरी और 19% लोग इसके विरोध में रहे।
एक टीवी चैनल और सर्व् एजेंसी द्वारा कराया गया यह सर्वे पश्चिम बंगाल में 8 से 20 मार्च और असम में 9 से 17 मार्च के बीच हुआ। पश्चिम बंगाल की 294 विधानसभा सीटों में से 118 पर और असम की 126 सीटों में से 50 पर यह सर्वे किया गया और पश्चिम बंगाल के 14 हजार 450 और असम के 6,027 वोटरों की राय ली गई।
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