अकादमी पुरस्कार: केन्द्रीय मंत्री ने कहा- लिखना छोड़ेंगे तब देखेंगे
केन्द्रीय संस्कृति मंत्री महेश शर्मा नेकहाकि यदि वे कह रहें हैं कि लिखने में असमर्थ हैं तो पहले लिखना बंद करें,अब तक 23 साहित्यकार अपने अकादमी पुरस्कार वापिस कर चुके हैं।
नई दिल्ली। एमएम कलबुर्गी हत्याकांड और दादरी कांड के विरोध में साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा रहे साहित्यकारों पर केन्द्रीय संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने पलटवार किया है। शर्मा ने कहाकि यदि वे कह रहें हैं कि लिखने में असमर्थ हैं तो पहले लिखना बंद करें। उसके बाद हम देखेंगे। यह पुरस्कार साहित्यकारों की ओर से साहित्यकारों को दिए गए थे। इससे सरकार का कोई लेना-देना नहीं है। पुरस्कार वापस लौटाना उनकी व्यक्तिगत इच्छा है, हम इसे स्वीकार करते हैं।
पहले भी दंगे हुए, तब क्या लौटाया पुरस्कार
मंत्री ने कहाकि वे कौन लोग है और उनकी विचारधारा क्या है इस पर भी विचार किया जाना चाहिए। यह महत्वपूर्ण मसला है। इससे पहले भी कई दंगे हो चुके हैं। आखिरी बार उन्होंने कब अपने पुरस्कार लौटाए थे। वे कह रहे हैं कि कलबुर्गी की हत्या के विरोध में ऎसा कर रहे हैं। इस विरोध में हम भी उनके साथ हैं लेकिन उन्हें समझना होगा कि कानून राज्य का मामला है। यदि उन्हें कोई शिकायत है तो उन्हें मुख्यमंत्री या गृह मंत्री को भेजना चाहिए। उन्होंने ऎसा नहीं किया।
अब 23 ने लौटाया अकादमी पुरस्कार
इसी बीच साहित्य अकादमी ने 23 अक्टूबर को एक्जीक्यूटिव बोर्ड की आपात बैठक बुलाई है। अब तक 23 साहित्यकार और लेखक अपने अकादमी पुरस्कार वापिस कर चुके हैं। सोमवार को कश्मीर लेखक गुलाम नबी खयाल, गुजराती कवि अनिल जोशी, कन्नड़ लेखक रहमत तारीकरे और पंजाब के पांच लेखकों सुरजीत पटर, चमन लाल, बलदेव सिंह सड़कनामा, जसविंदर और दर्शन भुट्टर ने भी अपने अकादमी पुरस्कार लौटा दिए थे।
रूश्दी ने पूछा, चुप क्यों हैं मोदी
बुकर पुरस्कार विजेता सलमान रूश्दी ने भी इस मुद्दे पर लेखकों का समर्थन किया। उन्होंने ट्वीट कर कहाकि, मैं नयनतारा सहगल और कई अन्य लेखकों के साहित्य अकादमी का विरोध करने समर्थन करता हूं। भारत में अभिव्यक्ति की आजादी खतरे में है। बाद में उन्होंने एक चैनल से बातचीत में इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाए।
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