script‘नोटबंदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था को हिरोशिमा, नागासाकी बना दिया’ | Currency ban has turned Indian economy in Hiroshima, Nagasaki : Shiv Sena | Patrika News

‘नोटबंदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था को हिरोशिमा, नागासाकी बना दिया’

Published: Jan 18, 2017 05:47:00 pm

शिवसेना ने पार्टी के मुख-पत्र ‘दोपहर का सामना’ के संपादकीय में लिखा,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘नोटबंदी का परमाणु बम’ गिराकर भारतीय
अर्थव्यवस्था को हिरोशिमा और नागासाकी की तरह तहस-तहस कर दिया है

Narendra Modi Uddhav Thackeray

Narendra Modi Uddhav Thackeray

मुंबई। शिवसेना ने नोटबंदी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला करते हुए बुधवार को कहा कि इस फैसले ने भारतीय अर्थव्यवस्था को उसी तरह तबाह कर दिया है, जिस प्रकार 1945 में दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जापान के शहर हिरोशिमा और नागासाकी अमेरिका की ओर से गिराए गए परमाणु बम के कारण तहस-नहस हो गए थे। शिवसेना ने पार्टी के मुख-पत्र ‘दोपहर का सामना’ के संपादकीय में लिखा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘नोटबंदी का परमाणु बम’ गिराकर भारतीय अर्थव्यवस्था को हिरोशिमा और नागासाकी की तरह तहस-तहस कर दिया है। सब खत्म।

मोदी पर ‘किसी की बात नहीं सुनने’ का आरोप लगाते हुए शिवसेना ने कहा कि प्रधानमंत्री ने पिछले साल आठ नवंबर को 500 और 1,000 रुपए के नोटों को बंद करने की घोषणा करने से पहले भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) तक की सलाह नहीं सुनी। शिवसेना के अनुसार, जिस तरह उनके मंत्रिमंडल में गूंगे-बहरे तोते बैठे हुए हैं, उसी प्रकार रिजर्व बैंक के गवर्नर (उर्जित पटेल) की नियुक्ति की गई और देश की अर्थव्यवस्था का दिवाला निकल गया।

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना केंद्र और महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी है। मोदी के हालिया बयान कि वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से सलाह लेते रहे हैं, पर पलटवार करते हुए शिवसेना ने कहा कि अब वह (पवार) भी इस कदम (नोटबंदी) का मुखर विरोध कर रहे हैं।

पवार ने शुरुआत में नोटबंदी का समर्थन किया था, लेकिन बाद में जब उन्होंने देखा कि इस कदम से आम लोगों, गरीब किसानों और देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ है तो उन्होंने इसका विरोध शुरू कर दिया। शिवसेना ने अपने मुख-पत्र के संपदाकीय में कहा है, पवार कह रहे हैं कि शुरुआत में ऐसा लगा कि नोटबंदी सही है, पर यह काला धन लाने में नाकाम रहा, क्योंकि काला धन विदेशों में है और इसलिए इसे लाया नहीं जा सका।

पार्टी के अनुसार, नोटबंदी से ग्रामीण सहकारी अर्थव्यवस्था को सबसे अधिक नुकसान हुआ है, जिसमें राज्य एवं जिला सहकारी बैंक तथा वित्तीय संस्थान और यहां तक कि चीनी सहकारी भी शामिल है। पार्टी के अनुसार, सरकार सहकारी बैंकों को ‘भ्रष्टाचार के अड्डे’ के रूप में प्रचारित कर रही है, जो पूरे सहकारी क्षेत्र का अपमान है।

शिवसेना के अनुसार, सच्चाई तो यह है कि विजय माल्या जैसे लोगों ने राष्ट्रीयकृत बैंकों में घोटाले किए, न कि सहकारी बैंकों में। पार्टी ने कहा, यदि मोदी वास्तव में पवार से सलाह लेते हैं तो राकांपा नेता को निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री को यह सलाह देनी चाहिए कि सहकारी बैंकों को भ्रष्ट बताकर वह किसानों की अंत्येष्टि संपन्न न करें, क्योंकि सहकारी क्षेत्र महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था की आत्मा है।

संपादकीय के अनुसार, यहां तक कि पवार ने भी माना है कि नोटबंदी के दो माह के बाद भी भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर नहीं हो पाई है। संपादकीय में कहा गया, कम से कम 50 प्रतिशत उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, 35 प्रतिशत रोजगार प्रभावित हुए हैं, बेरोजगारी बढ़ी है खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। लेकिन कोई भी आम आदमी को लेकर चिंतित नहीं है, जिसकी रीढ़ तोड़ दी गई है।

संपादकीय में एसोचैम के एक हालिया अध्ययन का हवाला दिया गया है, जिसके मुताबिक नोटबंदी के बाद से अब तक 40 लाख नौकरियां जा चुकी हैं तथा भविष्य में यह आंकड़ा और बढ़ेगा। संपादकीय इसके साथ समाप्त होता है, इस कदम से लोग पूरी तरह निराश हैं और हम देश के भविष्य को लेकर चिंतित हैं, इसलिए हम इस पर गहरी पीड़ा व्यक्त कर रहे हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो