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सेना को लेकर राज्यपाल ने दी नसीहत, ममता बनर्जी का पलटवार

Published: Dec 03, 2016 10:57:00 pm

त्रिपाठी कहा, प्रत्येक शख्स को भारतीय सेना जैसे जिम्मेदार संगठन के खिलाफ आरोप लगाने को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए

Kesari Nath Tripathi

Kesari Nath Tripathi

कोलकाता। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कथित आरोपों के मद्देनजर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के.एन.त्रिपाठी ने शनिवार को भारतीय सेना को बदनाम करने और नीचा दिखाने के खिलाफ सख्त लहजे में चेतावनी दी। मुख्यमंत्री बनर्जी ने कहा था कि टोल प्लाजा पर तैनाती के दौरान सैनिकों ने ट्रक चालकों से उगाही की। त्रिपाठी ने बनर्जी के इन आरोपों पर कहा, प्रत्येक शख्स को भारतीय सेना जैसे जिम्मेदार संगठन के खिलाफ आरोप लगाने को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए। सेना को नीचा नहीं दिखाएं। सेना को बदनाम नहीं करें।

राज्यपाल की चेतावनी का जवाब देते हुए ममता ने उन पर आरोप लगाया कि राज्य के टोल प्लाजा पर सेना की तैनाती के मुद्दे पर वह केंद्र सरकार की बोली बोल रहे हैं। मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा, राज्यपाल केंद्र सरकार की बोली बोल रहे हैं!! वह विगत आठ दिनों से शहर में नहीं थे।

राज्यपाल की टिप्पणी को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता ने कहा कि टिप्पणी करने से पहले त्रिपाठी को हाल में राज्य के घटनाक्रमों के विस्तृत विवरणों की जांच करनी चाहिए थी। राज्य में बिना मुख्यमंत्री से पूछे टोल प्जाजा पर सेना की तैनाती के विरोध में ममता गुरुवार रात से 36 घंटे तक सचिवालय में रहीं।

इस मुद्दे को लेकर संसद में भारी हंगामा हुआ और कार्यवाही बाधित हुई। आरोपों का खंडन करते हुए केंद्र सरकार और सेना ने कहा कि नियमित अभ्यास को कुछ ज्यादा ही समझा जा रहा है। इस बीच राज्य में कई टोल प्लाजा पर सेना की तैनाती के विरोध में शनिवार को अपराह्न में तृणमूल के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा।

राज्य के शिक्षा और संसदीय मामले के मंत्री पार्था चटर्जी ने स्पष्ट किया कि सेना के प्रति राज्य सरकार का सर्वाधिक सम्मान है। लेकिन वह गलत तरीके से सेना के उपयोग की केंद्र सरकार की चाल की निंदा करती है।

लोकसभा में रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा था कि सेना कोलकाता में नियमित अभ्यास कर रही है। पूर्वी कमान ने इस मुद्दे पर सेना और स्थानीय पुलिस के बीच हुए पत्राचार को बयान करने वाले दस्तावेज दिखाते हुए कहा कि इसके बारे में राज्य सरकार और पुलिस को पहले से जानकारी थी।

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