गृह मंत्रालय ने एक विकल्प चुनने को कहा
एक अंग्रेजी अखबार के अनुसार पाटील के दफ्तर ने केन्द्र से अनुमति मांगी है कि उनके गृहनगर पुणे में पर्सनल कार का इस्तेमाल करने दिया जाए और शहर से बाहर यात्रा के लिए गाड़ी व ईधन सरकार मुहैया कराए। सरकारी नियमानुसार एक पूर्व राष्ट्रपति अगर अपनी गाड़ी काम में लेते हैं तो सरकार से ईधन भत्ता ले सकता है और अगर ऎसा नहीं करता है तो सरकारी गाड़ी इस्तेमाल कर सकता है। वहीं प्रतिभा पाटील दोनों सुविधाएं चाहती हैं और इसकी अनुमति देने के लिए सरकार को नियम बदलने होंगे। तीन महीने तक पाटील के दफ्तर से चर्चा के बाद गृह मंत्रालय ने कार या ईधन में से एक चुनने को कहा है।
पहली गाड़ी नहीं आई पसंद
मामले की शुरूआत पाटील से पहली आधिकारिक गाड़ी को वापिस लेने से हुई क्योंकि यह गाड़ी उन्हें पसंद नहीं आई थी। इसके बाद पूर्व राष्ट्रपति ने एक बड़ी गाड़ी की मांग की लेकिन इसकी अनुमति नहीं मिली तो उन्होंने ईधन भत्ता मांगा। इसके बाद उनके दफ्तर ने पर्सनल कार का उपयोग करना शुरू कर दिया और जब वह पुणे से बाहर जाती तो जिला प्रशासन ने उन्हें सरकारी गाड़ी मुहैया कराई। महाराष्ट्र सरकार को जब इस बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने इस पर आपत्ति जताई और के न्द्र के समक्ष यह मामला उठाया।
पहली बार नहीं आया है विवादों में नाम
प्रतिभा पाटील का नाम विवादों में पहली बार नहीं आया है। जब वह राष्ट्रपति थी तो उनके बेटे और पूर्व विधायक पर भी ऎसे आरोप लग चुके हैं। वहीं उनके भाई का नाम एक कथित हत्या में आया था। जब उन्होंने पद छोड़ा तो उन पर राष्ट्रपति के रूप में मिलने वाले उपहारों को अपने साथ ले जाने का आरोप लगा। सूचना के अधिकार के तहत खुलासा हुआ कि वे इन उपहारों को अपने साथ अपने गृह नगर अमरावती ले गई। बाद में उन्हें यह सब गिफ्ट वापिस करने पड़े।