scriptगोवा : मोर घोषित हो सकता है ‘अनाज को हानि पहुंचाने वाला’ | Goa may declare peacock destroyer of grains | Patrika News

गोवा : मोर घोषित हो सकता है ‘अनाज को हानि पहुंचाने वाला’

Published: Feb 13, 2016 10:42:00 pm

गोवा के कृषि मंत्री रमेश तवाड़कर मोर को उन बंदरों और जंगली सूअरों की तरह
ही कृषि क्षेत्र के लिए हानिकारक मानते हैं जो फसलों को बड़े पैमाने पर
हानि पहुंचाते हैं

Peacock

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पणजी। मोर राष्ट्रीय पक्षी है। देश के वन्यजीव अधिनियम के तहत संरक्षित है लेकिन इस पर गोवा में आफत आ सकती है। गोवा में इसे ‘अनाज को नुकसान पहुंचाने वाला जीव’ माना जा सकता है और संख्या घटाने के लिए इन्हें बेरहमी से बड़ी
संख्या में मारा भी जा सकता है।

गोवा के कृषि मंत्री रमेश तवाड़कर मोर को उन बंदरों और जंगली सूअरों की तरह ही कृषि क्षेत्र के लिए हानिकारक मानते हैं जो फसलों को बड़े पैमाने पर हानि पहुंचाते हैं। इसलिए वह चाहते हैं कि इसे ‘अनाज को नुकसान पहुंचाने वाला जीव’ घोषित किया जाना चाहिए और समय-समय पर इसका खात्मा होना चाहिए। तवाड़कर ने शुक्रवार को आइएएनएस से बातचीत में कहा कि सरकारी अधिकारियों की एक समिति इस मसले पर विचार कर रही है कि इस संबंध में क्या करना है।

उन्होंने कहा, गत विधानसभा सत्र के दौरान हम लोगों ने बंदरों और जंगली सुअरों के बारे में कहा था कि ये किसानों के लिए उपद्रवी बन चुके हैं। इस संदर्भ में एक समिति गठित की जाएगी जो इन्हें नाशक जीव घोषित करने पर विचार करेगी।

तावड़कर ने कहा, कुछ किसानों का कहना है कि मोर पर्वतीय क्षेत्रों में खेतों में लगी फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए समिति अब इस पर भी विचार करेगी कि मोर को नाशक या उपद्रवी जीव घोषित किया जाए या नहीं।

हालांकि, गोवा के कृषि मंत्री ने साथ में यह भी कहा कि अभी तक गोवा में मोर समेत पशु-पक्षी की किसी भी प्रजाति को नाशक जीव घोषित नहीं किया गया है। मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है और वन्यजीव अधिनियम 1972 की अनुसूची 1 के

तहत संरक्षित है।

गत माह विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान राज्य के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत परसेकर ने सदन को आश्वासन दिया था कि कृषि एवं बागवानी कार्य में बाधा पहुंचाने और फसलों को नष्ट करने वाले जंगली सूअर, बंदर और अन्य जंगली ज्

ाानवर को जल्द ही ‘नाशक जीवÓ की श्रेणी में रखा जाएगा।

उन्होंने कहा था, वह समय आ गया है कि बंदर और जंगली सूअर जैसे जंगली जानवर जो फसलों को नियमित रूप से बर्बाद करते हैं, उन्हें नाशक जीव की श्रेणी में रखा जाए। इस समस्या के कारण भी स्पष्ट हैं। तेजी से हो रहे शहरीकरण के

चलते गोवा में जंगल कम हो गए हैं। नतीजा है कि वन्यजीवों के लिए जगह की कमी हो गई है और वे अक्सर मनुष्य के रिहायशी इलाकों में अतिक्रमण करते रहते हैं।
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