कानून मंत्री ने कहा कि उच्च न्यायपालिका में आर्टिकल नंबर 124 और आर्टिकल नंबर 217 के तहत नियुक्ति होती है। इन आर्टिकल में किसी भी तरह के आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है।
नई दिल्ली: सरकार ने कहा कि हमें अपनी न्याय प्रणाली में अधिक महिलाओं की जरूरत है, लेकिन किसी भी प्रकार के आरक्षण के सहारे नहीं, बल्कि जागरुकता और संवेदनशीलता के दम पर महिला जज की नियुक्ति हो। महिला जजों की नियुक्ति पर कांग्रेस सांसद आर रहमान के पूछे गए सवाल के जवाब में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा में कहा कि सरकार का बड़ी अदालतों में एक निश्चित रोल ही है। इसका मतलब यह नहीं है कि सरकार इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाएगी। सरकार पूरी कोशिश करेगी कि ज्यादा से ज्यादा महिला जजों की नियुक्ति की जाए।
आरक्षित वर्ग को बढ़ने का मिलेगा मौका
कानून मंत्री ने कहा कि बड़ी अदालतों में नियुक्ति के लिए किसी भी तरह के आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। फिर भी सरकार ध्यान रखती है कि अल्पसंख्यकों, दलित, एससी-एसटी और महिलाओं को भी आगे बढ़ने का मौका दिया जाए। उन्होंने कहा कि यह कहना बिल्कुल गलत होगा कि सुप्रीम कोर्ट महिला जज की नियुक्ति में जानबूझकर भेदभाव कर रही है।
मैं जजों की नियुक्ति को लेकर संवेदनशील- रविशंकर
मैं तीन बार मंत्री रह चुका हूं। प्रसाद ने कहा कि यह बहुत ही बड़ी प्रणाली है, जिसमें सरकार का रोल बहुत छोटा होता है। बतौर कानून मंत्री मैं जजों की नियुक्ति को लेकर सवेंदनशील रहूंगा।
अदालतों में महिला जजों की स्थिति
1– 4704 महिला जज हैं निचली अदालतों में
2– पिछले 3 साल में 16443 में से 1473 महिला जजों की हुई है नियुक्ति
3– 66 महिला जज हैं हाईकोर्ट में
4– 1 ही महिला जज हैं सुप्रीमकोर्ट में
5– 4846 पद खाली हैं निचली अदालतों में जजों के
आरक्षित नहीं है उच्च न्यायपालिका में जज का पद
प्रसाद ने कहा कि उच्च न्यायपालिकाओं में महिला वकीलों की संख्या काफी अच्छी है। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायपालिका में आर्टिकल नंबर 124 और आर्टिकल नंबर 217 के तहत नियुक्ति होती है। इन आर्टिकल में किसी भी तरह के आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। फिर भी हमने हाईकोर्ट के उच्च न्यायधीश से अपील की है कि नियुक्ति के समय वह अल्पसंख्यकों, दलित,एसटी और महिलाओं का विशेष ध्यान रखें।