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सरकार की फजीहत: राष्ट्रपति के अभिभाषण में संशोधन प्रस्ताव पास

संसद के चालू बजट सत्र में नरेंद्र मोदी सरकार को राज्यसभा में भ्रष्टाचार एवं कालेधन पर फजीहत का सामना करना पड़ा

Mar 04, 2015 / 12:00 am

आरिफ मंसूरी

नई दिल्ली। संसद के चालू बजट सत्र में नरेंद्र मोदी सरकार को राज्यसभा में भ्रष्टाचार एवं कालेधन पर फजीहत का सामना करना पड़ा, जिसकी उन्हें कहीं से उम्मीद नहीं थी। सरकार के कामकाज और योजनाओं का मुखपत्र माने जाने वाले राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान राज्यसभा में न केवल संशोधन प्रस्ताव पेश कि या गया, बल्कि वह पारित भी हो गया। हालांकि इससे सरकार के कामकाज पर किसी तरह का असर नहीं पड़ने वाला है, लेकिन विपक्ष के लिए यह एक बड़ी मनोवैज्ञानिक जीत माना जा रहा है। गौरतलब है कि मंगलवार की घटना को मिलाकर राज्यसभा में अब तक सिर्फ 4 बार राष्ट्रपति के अभिभाषण में संशोधन प्रस्ताव पारित हुआ है।

यह था मामला
बजट सत्र का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति ने जो अभिभाषण पढ़ा था, उसमें कहीं भी “भ्रष्टाचार” शब्द का जिक्र नहीं था। इस पर माकपा नेता सीताराम येचुरी ने अभिभाष ण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान संशोधन प्रस्ताव रखते हुए कहा कि सदन (राज्यसभा) को इसका खेद है कि भ्रष्टाचार और कालेधन पर सरकार की ओर से कुछ नहीं ç कया गया है। हालांकि संसदीय कार्यमंत्री ने वेंकैया नायडू ने यहकर सरकार को शर्मिदगी से बचाने की कोशिश की कि अभिभाषण कोई करार या समझौता नहीं है, इसलिए येचुरी को संशोधन की जिद नहीं करनी चाहिए।

राष्ट्रपति के अभिभाषण में संशोधन प्रस्ताव पारित हुआ है। इससे सरकार मंुह दिखाने के काबिल नहीं रह गई है।
-अश्विनी कुमार, कांग्रेस नेता

यह भी कहा
– लोकतंत्र में न किसी की धमकी चल सकती है, न चलेगी
– सरकारों ने नहीं देश को मजदूरों और किसानों ने बनाया
– भू अधिग्रहण बिल के तहत मुआवजा कम नहीं किया जाएगा
– खाद्य सुरक्षा बिल में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा
– देश को आगे ले जाने में अब तक के सभी प्रधानमंत्रियों का योगदान
– हममें भी कुछ कमियां हैं, उसे दूर करेंग

मत-विभाजन से फैसला
राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी ने प्रस्ताव पर मत-विभाजन की इजाजत दे दी। राज्यसभा में अल्पमत में होने के चलते सरकार को हार का मुंह देखना पड़ा और अभिभाषण में संशोधन को मंजूरी मिल गई। इसका मतलब यह है कि अब संशोधित शब्दों को राष्ट्रपति के अभिभाषण में जोड़ दिया जाएगा।

पहले के संशोधन
-30 जनवरी 1980 को पहली बार राष्ट्रपति का अभिभाषण एक संशोधन के साथ पारित हुआ
-29 दिसंबर 1989 को ऎसी दूसरी घटना में अभिभाषण में छह संशोधन स्वीकृत हुए थे
-12 मार्च 2001 को राष्ट्रपति का अभिभाषण एक संशोधन के साथ पारित किया गया था

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