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आतंकी हमले के बावजूद बेल्जियम जाएंगे पीएम मोदी

Published: Mar 22, 2016 08:39:00 pm

विकास स्वरूप ने संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में कोई
बदलाव नहीं हुआ है और वह पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार वहां जाएंगे

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नई दिल्ली। बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में मंगलवार को हुए आतंकी हमलों के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत-यूरोपीय संघ की 30 मार्च को निर्धारित 13वीं शिखर बैठक में हिस्सा लेने वहां जाएंगे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं हुआ है और वह पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार वहां जाएंगे। उन्होंने बताया कि मोदी 30 मार्च को भारत-यूरोपीय संघ की बैठक में हिस्सा लेने के बाद वॉशिंगटन डीसी जाएंगे जहां वह 31 से एक अपे्रल को होने वाली चौथे परमाणु सुरक्षा शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। इस शिखर सम्मेलन के दौरान वह द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे।

स्वरूप ने कहा कि इसके बाद प्रधानमंत्री दो से तीन अप्रेल तक सऊदी अरब की यात्रा पर रहेंगे। यह 2010 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की सऊदी अरब की पहली यात्रा होगी। ब्रसेल्स में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वहां के प्रधानमंत्री चाल्र्स
मिशेल के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे जिसमें आपसी संबंधों विशेष रूप से आर्थिक साझेदारी बढ़ाने पर बातचीत की जाएगी। दोनों नेता विभिन्न क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी विचार विमर्श करेंगे।

बेल्जियम यूरोपीय संघ में भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और दोनों देशों के बीच मजबूत मैत्रीपूर्ण संबंध हैं। यूरोपीय संघ भारत का प्रमुख व्यापार और निवेश भागीदार है तथा भारत से सर्वाधिक निर्यात इन्हीं देशों को होता है।

वह 2004 से भारत का रणनीतिक भागीदार भी है। तेरहवें भारतीय-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन से इस भागीदारी के मजबूत होने की उम्मीद है। वॉशिंगटन में होने वाले चौथे परमाणु सुरक्षा सम्मेलन में परमाणु शक्ति संपन्न देशों के नेताओं का ध्यान मुख्य रूप से ऐसे उपायों पर रहेगा जिससे आतंककारियों और दूसरे ऐसे तत्वों की परमाणु सामग्री और तकनीक तक पहुंच को रोका जा सके।

पहला परमाणु सुरक्षा सम्मेलन वॉशिंगटन में ही 2010 में, दूसरा सोल में मार्च 2012 तथा तीसरा हेग में मार्च 2014 में हुआ था। इस बार के सम्मेलन में पिछले सम्मेलनों में तैयार की गई कार्ययोजनाओं की प्रगति की समीक्षा की जाएगी तथा भविष्य का एजेंडा तय किया जाएगा। सम्मेलन के इतर मोदी कुछ नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें करके आपसी, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सऊदी अरब के शाह सलमान बिन अब्दुल अजीज अल सऊद के निमंत्रण पर दो से तीन अप्र्रेल को वहां की यात्रा पर रहेंगे।

इससे पहले वर्ष 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह वहां गए थे। इस दौरान मोदी और शाह के बीच द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और आपसी हित के बहुपक्षीय मुद्दों पर चर्चा होगी। दोनों देशों के बीच करीबी संबंध हैं और जनता के बीच भी अच्छा संपर्क है। भारत और सऊदी अरब के बीच 2010 के रियाद घोषणापत्र के माध्यम से रणनीतिक भागीदारी बनी थी जिसमें राजनीतिक, आर्थिक, रक्षा तथा सुरक्षा के क्षेत्र में संबंध मजबूत बनाने की बात कही गई है।

हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग में काफी वृद्धि हुई है। सऊदी अरब 2014-15 में भारत का चौथा सबसे बड़ा साझीदार बन गया था और उनका द्विपक्षीय व्यापार 39 अरब डॉलर से भी आगे पहुंच गया है। वह भारत को कच्चे तेल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता भी है। भारत के कुल आयात का पांचवां हिस्सा सऊदी अरब से आता है। सऊदी अरब में 29 लाख से अधिक भारतीय समुदाय के लोग रहते हैं और वहां की प्रगति और विकास में उनका बड़ा योगदान है।
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