नई दिल्ली। भारत-पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते के अंतर्गत आने वाली पश्चिमी सहायक नदियों का ज्यादा से ज्यादा पानी इस्तेमाल करेगा। भारत अपने इस महत्वाकांक्षी परियोजना को गति देगा। अगले साल चिनाब नदी पर भारत की एक प्रमुख पनबिजली परियोजना शुरू होने जा रही है।
सिंधु जल संधि की समीक्षा करने की घोषणा की थी पीएम मोदी
पीएम नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान की ओर से हो रहे आतंकी हमलों के बाद 27 सितंबर को सिंधु जल संधि की समीक्षा करने का फैसला सुनाया था। उसके बाद से ही ये परियोजना अधर में लटकी हुई है। मगर इस समय केंद्र सरकार की प्राथमिकता में चिनाब और इसकी सहायक नदियों सवालकोट, पकाल दुल और बरसर के जरिए बिजली उत्पादन परियोजना शुरू करना है। भारत के लिए सिंधु, चिनाब, झेलम और इनकी सहायक नदियों पर बांध बनाना एक बहुत बड़ा काम है।
पाकिस्तान के साथ भू-राजनीति भारत की सबसे बड़ी चुनौती
भारत को इन सभी परियोजना के साथ ही पाकिस्तान को अपने खिलाफ आतंकवाद के विकल्प से भी रोकना है। ऐसे में पाकिस्तान के साथ की गई हरेक संधि चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है। केंद्र सरकार इन परियोजनाओं के लिए जमीनी काम करने के लिए लगातार जम्मू-कश्मीर सरकार से बातचीत कर रहा है। सवालकोट परियोजना को अगले साल जल्दी ही शुरू किया जाना है। अधिकारियों ने बताया पकाल दुल परियोजना के लिए भी सरकार ने जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए हैं।
सवालकोट परियोजना के लिए 629 परिवारों को देने होंगे नए घर
सवालकोट परियोजना के तहत चिनाब नदी पर 1856 मेगावॉट बिजली उत्परदन करने के लिए करीब 193 मीटर ऊंचा बांध बनना है। ये बांध दो चरणों में पूरा किया जाएगा। इसके लिए करीब 629 परिवारों जिसमें करीब 4400 लोग शामिल है को किसी दूसरी जगह शिफ्ट करना होगा। राज्य सरकार इस परियोजना के शुरू होने से पहले इन सभी लोगों के पुनर्वास के लिए काम करना होगा।
सिंधु के पानी को ज्यादा इस्तेमाल करना भारत की प्राथमिकता
इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज और एनालिसिस के उत्तम सिन्हा बताते हैं कि भारत ने राजनीतिक अनिवार्यता को देखते हुए पिछली लागत और दूसरी गणनाओं की समीक्षा की गई। अब भारत सिंधु के पानी को ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने का फैसला ले चुके हैं। इस समय भारत की प्राथमिका सिंधु के पानी का इस्तेमाल बढ़ाना होगी। ये अच्छी बात है कि भारत अपने अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा करना चाह रहा है। 1960 में हुई संधि में भारत को पश्चिमी नदियों पर घरेलू इस्तेमाल सहित दूसरे उद्देश्यों के लिए 3.6 मिलियन एकड़ फीट तक निर्माण करने की अनुमति दी है। भारत ने अभी तक पानी की स्टोरेज के लिए कोई सुविधा विकसित नहीं की है।
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