नई दिल्ली। पश्चिमी एशिया की जानी-मानी 4 शख्सियत आगामी दो महीनों में भारत का दौरा करेंगी। मोदी सरकार पिछले कुछ समय से कूटनीतिक तरीके से राजनीतिक रूप से अस्थिर मगर अमीर देशों से अपने रिश्ते सुधारने की कोशिश में हैं।
कतर के प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला 3 दिसंबर को पहुंचेगे दिल्ली
3 दिसंबर को मोदी सरकार कतर के प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला बिन नासिर बिन खलीफा अल थानी का स्वागत करेगी। उसके बाद अबु धाबी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान 26 जनवरी 2017 को गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित होंगे। उनके बाद जॉर्डन के राजा और सउदी अरब के सम्राट भी 2017 में भारत के दौरे पर आएंगे। ये चारों ही पाकिस्तान के पारंपरिक सहयोगी रहे हैं। मगर ये सभी भारत के साथ सुरक्षा और आर्थिक सहयोग विकसित करना चाहते हैं। साथ ही आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के खतरे को रोकने में भी भारत के साथ हैं। पाकिस्तान के ये सहयोगी देश भारत में भी निवेश के अवसर तलाश रहे हैं।
आतंक को रोकने में पश्चिमी एशियाई देशों का साथ चाहता है भारत
पीएम मोदी ने भी अपने कार्यकाल में यूएई, सउदी अरब और कतर का दौरा किया। वहीं राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पिछले साल ही जॉर्डन के दौरे पर गए थे। विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर हाल ही में अमान गए थे जहां उन्हे ऐसे ही द्विपक्षीय निवेश को लेकर बात की। अबु धाबी, रियाद और दोहा में पीएम मोदी के दौरे के पीछे निवेश की संभावनाएं ढूंढने से ज्यादा धर्म आधारित आतंक को रोकने में उनकी मदद मांगना था।
अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने में भी मदद करेंगे ये अमीर देश
सभी मुस्लिम देशों की सोच पाकिस्तान जैसी नहीं हो सकती। भाजपा की एनडीए सरकार की विदेश नीति में पश्चिमी एशिया और गल्फ देशों के साथ संबंध बेहतर करना भी है। एमजे अकबर ने लगातार तीन बार गल्फ देशों में विजिट करके वहां के क्राउन प्रिंस को भारत आने के लिए तैयार किया। सउदी अरब भी संसाधनों के नजरिए से काफी धनी देश है। इस समय भारत पाकिस्तान से अपना ध्यान हटाकर अर्थव्यवस्था को बेहतर करने के लिए पश्चिमी एशिया के देशों से अपने संबंध मजबूत करने में जुटा हुआ है।