शिवसेना ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का समर्थन करते हुए पवित्र धार्मिक ग्रंथों की जगह संविधान पर हाथ रखकर शपथ लेने को अनिवार्य बनाने की बात कही है
मुंबई। कुछ दिनों से बीजेपी के उलट चल रही शिवसेना ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का समर्थन करते हुए पवित्र धार्मिक ग्रंथों की जगह संविधान पर हाथ रखकर शपथ लेने को अनिवार्य बनाने की बात कही है। जिससे देश को धर्म आधारित राजनीति के शिकंजे से बाहर निकाला जा सके।
अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में शिवसेना ने कहा है कि संविधान सभी धर्मों के (लोगों के) लिए पवित्र ग्रंथ होना चाहिए। कानून के समक्ष सभी धर्म समान हैं और दिवंगत बाल ठाकरे ने भी यही कहा था। संपादकीय में लिखा गया है कि कानून के सामने सभी समान हैं लेकिन कानून के समक्ष संविधान सर्वोच्च है। लोगों को अदालत में धार्मिक पवित्र ग्रंथों के बजाए संविधान पर हाथ रखकर शपथ लेनी चाहिए।
इसमें आगे कहा गया है कि मोदी ने कहा है कि अम्बेडकर द्वारा दिए संविधान को बदलने के बारे में सोचना आत्महत्या करने जैसा होगा। उन्होंने यह भी कहा है कि संविधान एक पवित्र पुस्तक है। मोदी ने इस विचार को विस्तार देने और देश को धर्म आधारित राजनीति के चंगुल से बाहर निकालने की बात कही है।