महबूबा ने इशारों-इशारों में कहा कि अगर केंद्र सरकार गठबंधन पर विश्वास बहाली के उपायों को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाती है कि राज्य में भाजपा से पीडीपी का नाता टूट सकता है।
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में सरकार निर्माण को लेकर सियासी रस्साकस्सी के बीच पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने संकेत दिए हैं कि वह भाजाप के साथ गठबंधन तोड़ सकती हैं। पिछले करीब एक महीने से सरकार बनाने पर चल रही खींचतान के बीच महबूबा ने शुक्रवार को कहा कि अगर भाजपा की तरफ से जल्द ही विश्वास बहाली से जुड़े कदमों की घोषणा नहीं की गई तो वह भाजपा से नाता तोड़ सकती हैं।
भाजपा विश्वास बहाली के लिए उठाए कदम
महबूबा ने इशारों-इशारों में कहा कि अगर केंद्र सरकार गठबंधन पर विश्वास बहाली के उपायों को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाती है कि राज्य में भाजपा से पीडीपी का नाता टूट सकता है। महबूबा ने जम्मू में पार्टी कार्यकर्ताओं की एक बैठक में कहा, आप हवा में सरकार नहीं बना सकते। मुद्दा यह है कि कैसे एक बढिय़ा माहौल तैयार किया जाए ताकि नई सरकार बने तो लोगों के बीच प्रतिष्ठा कायम करने का रास्ता तैयार हो सके। इसके लिए आपके पास सरकार का समर्थन होना चाहिए। अगर हमें यह मिलता है तो ठीक है, नहीं तो हम आगे बढ़ेंगे, जैसा कि हम अभी तक करते आए हैं।
हम ब्लैकमेल नहीं कर रहे
महबूबा के मुताबिक, पार्टी नेताओं के साथ एक बैठक में महबूबा ने कहा कि नए उपाय इसलिए किए जा रहे हैं कि नई सरकार के सामने एक सकारात्मक माहौल बनाया जा सके। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं समझना चाहिए कि यह ब्लैकमेल की रणनीति है।
मुफ्ती मोहम्मद के निधन के नई सरकार के लिए खींचतान
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद से ही राज्य में सरकार निर्माण को लेकर पीडीपी-भाजपा गठबंधन में नए सिरे से खींचतान शुरू हो गई है। जम्मू-कश्मीर में फिलहाल गवर्नर रूल लागू है। विपक्षी दल के तौर पर नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस पीडीपी-भाजपा पर लगातार सरकार निर्माण को लेकर दबाव बना रही है, वहीं महबूबा मुफ्ती गठबंधन की सरकार को आगे बढ़ाने से पहले नेशनल पावर प्रोजेक्ट्स को राज्य सरकार को सौंपने और कई अन्य पैकेज को लेकर केंद्र से ठोस आश्वासन चाहती हैं।
महबूबा ने यह भी कहा कि ये नए कदम राजनीतिक होने चाहिए, आर्थिक नहीं। बता दें कि एक दिन पहले ही जम्मू कश्मीर के गवर्नर एनएन वोहरा ने दो अडवाइजरों की नियुक्ति की है। उनके इस कदम को केंद्र सरकार द्वारा दबाव बनाने के तौर पर देखा जा रहा है ताकि यह दिखाया जा सके कि वह राज्य में लंबे वक्त तक राष्ट्रपति शासन के प्रतिकूल नहीं है।