अमरीकी स्टेट सिक्रेट्री जॉन कैरी अहम मसलों को अंतिम रूप देने के लिए भारत पहुंच चुके हैं। अपने व्यस्ततम कार्यक्रमों के बीच गुरुद्वारा, मंदिर व मस्जिद भी जाएंगे।
नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय जगत में भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी और अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की दोस्ती किसी से छुपी नहीं है। ओबामा भी व्हाइट छोडऩे से पहले भारत से संबंधित सभी अहम मसलों को निपटा देना चाहते हैं, जिनमें एनएसजी का मुद्दा सबसे ऊपर है। इसे अंतिम रूप देने के लिए यूएस सेक्रेट्री जॉन कैरी ने अपनी भारत यात्रा मंगलवार से शुरू कर दी है।
भारत का रहेगा एनएसजी पर जोर
भारत चाहता है कि ओबामा व्हाइट हाउस छोड़कर चले जाएं और नये राष्ट्रपति पदभार ग्रहण करें, उससे पहले ही एनएसजी के मुद्दे पर अंतिम फैसला हो जाए। भारत स्ट्रेटजिक एंड कमर्शियल डायलॉग (एससीडी) में भी अपनी सहभागिता बढ़ाने व सदस्यता पर अमरीका को राजी करना चाहता है। इसके लिए भारत डिजर्व भी करता है। साउथ चाइना सी, बलूचिस्तान, कई आम्र्स डील, टेक विसा, पोस्ट हेग कोर्ट डिसीजन, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से जुड़े मसले जैसे मुद्दों पर डील को अंतिम रूप दिया जा सकता है।
एमईए ने बदला यात्रा का कार्यक्रम
दरअसल मोदी के शासन में जॉन कैरी इस बार अपनी यात्रा की शुरुआत गुरुद्वारा शीशगंज से करना चाहते थे। इससे भारतीय रणनीतिकारों के लिए चिंता की लकीरें बढ़ गई थी, क्योंकि ढाका आतंकी हमले के बाद कैरी ने बांग्लादेश की यात्रा की और उसके बाद सीधे गुरुद्वारे से अपनी यात्रा का शुभारंभ करना चाह रहे थे। उनकी योजना लक्ष्मीनारायण मंदिर और जामा मस्जिद जाने की भी है। यह मोदी सरकार के लिए एक चौकाने वाली थी कि क्या कैरी भारत के धार्मिक और बहु सांस्कृतिक स्थितियों का जायजा तो नहीं लेना चाहते हैं। विदेश मंत्रालय ने इस कार्यक्रम को बुधवार के लिए तय कर दिया है।