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पाकिस्तान मुंबई, पठानकोट हमलों के दोषियों पर कार्रवाई करे : कैरी

अमरीका ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए यह भी कहा कि आतंकवाद को
लेकर दोहरे मानदंड नहीं हो सकते

Aug 31, 2016 / 12:17 am

जमील खान

Sushma Kerry

Sushma Kerry

नई दिल्ली। अमरीका ने सीमा पार आतंकवाद पर भारत के रुख से एकजुटता व्यक्त करते हुए मंगलवार को पाकिस्तान से दो टूक शब्दों में कहा कि वह 2008 के मुंबई आतंकी हमले और 2016 के पठानकोट हमले के दोषियों पर कठोर कार्रवाई करे। अमरीका ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए यह भी कहा कि आतंकवाद के मुद्दे पर भारत एवं उसकी एक राय है और दोनों का मानना है कि आतंकवाद को लेकर दोहरे मानदंड नहीं हो सकते। अमरीका के विदेश मंत्री जॉन कैरी ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ भारत-अमरीका दूसरी रणनीतिक एवं वाणिज्यिक वार्ता के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह ऐलान किया।

बैठक में दोनों देशों के बीच रणनीतिक एवं वाणिज्यिक संबंधों को बढ़ाने पर चर्चा हुई जिसमें वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण और अमरीका की वाणिज्य मंत्री पैरी प्रिट्ज़्कर भी शामिल हुई। दोनों देशों ने स्वच्छ ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन, टोटलाइजेशन, एच1बी एवं एल1 वीसा सहित आपसी हितों से जुड़े सभी मुद्दों पर खुल कर बातचीत की। भारत एवं अमरीका ने इस दौरान साइबर सुरक्षा में सहयोग बढ़ाने को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर भी किए।

संवाददाता सम्मेलन में कैरी ने कहा कि अमरीका और भारत, आतंकवाद के मुद्दे पर बिल्कुल एकराय हैं और ना केवल आतंकवाद को रोकने, बल्कि आतंककारियों को कानून के शिकंजे में लाने को लेकर भी दोनों के विचार एक हैं। अमरीका सभी प्रकार के आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ पूरी एकजुटता से खड़ा है। उन्होंने यह भी कहा कि सब जानते हैं कि पाकिस्तान आतंककारियों की पनाहगाह है जहां से हक्कानी नेटवर्क और लश्कर ए तैयबा अपनी गतिविधियां चलाते हैं।

आतंकवाद के मुद्दे पर विचार समान
स्वराज ने अपने वक्तव्य की शुरुआत में कहा, कैरी और मैंने आतंकवाद जो कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए अहम चुनौती है और जो अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है, के विषय पर विस्तृत चर्चा की। मुझे खुशी है कि इस मुद्दे पर हमारे विचार बिल्कुल एक जैसे हैं। उन्होंने कहा, भारत और हमारे क्षेत्र के एक बड़े भूभाग में पाकिस्तान की ओर से सीमा पार आतंकवाद की लगातार बनी हुई समस्या से मैंने कैरी को अवगत कराया। हम दोनों इस बात पर सहमत थे कि राष्ट्रों को आतंकवाद पर दोहरे मानदंड नहीं अपनाने चाहिए जैसे अच्छा या बुरा कहकर आतंककारियों में अंतर करना। ना ही उन्हें आतंकी संगठनों के लिए सुरक्षित शरणस्थल बनना चाहिए।

आतंकी संगठनों को पनाह देना बंद करे पाक
कैरी ने कहा, अमरीका अच्छे और बुरे आतंकवाद में ना तो अंतर करता है और ना ही करेगा। आतंकवाद सिर्फ आतंकवाद होता है, चाहे वह कहीं से संचालित हो अथवा चाहे कोई अंजाम दे। अमरीका 2008 के मुंबई आतंकी हमले और 2016 के पठानकोट हमले के दोषियों को कानून के शिकंजे में लाने के सभी प्रयासों का समर्थन करता रहेगा। अमरीकी विदेश मंत्री ने कहा कि उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल राहिल शरीफ से भी बात की है और कहा है कि पाकिस्तान को किसी भी आतंकी संगठन को पनाह देने से परहेज करना होगा।

शांति, सुरक्षा के लिए खतरा हैं आतंकी
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि यह सर्वविदित तथ्य है कि लश्करे तैयबा और हक्कानी नेटवर्क पाकिस्तान के अंदर से संचालित होते हैं। स्वराज ने दोहराया कि आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए अहम चुनौती है और जो अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है। पाकिस्तान के लिए यह आवश्यक है कि वह अपने यहां आतंककारियों और आपराधिक नेटवर्कों जैसे कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और डी कंपनी के लिए शरणस्थली को खत्म करे।

विदेश मंत्री ने कहा कि उन्होंने कैरी के साथ आतंकवाद का सामना करने के लिए अंतरराष्ट्रीय विधिक व्यवस्था को मजबूत करने पर भी चर्चा की। दोनों इस बात पर सहमत थे कि आतंकवाद का सामना करने के लिए आपसी सहयोग के लिए और उपाय किए जाने चाहिए। विशेषकर ऐसे आतंकी जिनकी पहचान कर ली गई हो या जो संदेह के घेरे में हों, उनसे संबंधित सूचनाओं के आदान-प्रदान के समझौते को शीघ्र प्रभावी करने की आवश्यकता है।

उन्होंने बताया कि बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी कि हम आपस में खुफिया सूचनाओं को साझा करने में तेजी लाएंगे और संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंककारियों और आतंकी संगठनों को उसकी इस संबंध में बनाई गई सूची में लाने के लिए मिलकर कार्य करेंगे। इस संबंध में हम संयुक्त राष्ट्र की 1267 समिति में अपने दृष्टिकोण में समन्वय कायम करेंगे। बाद में संवाददाताओं के सवालों के जवाब में स्वराज ने आतंकवाद और पाकिस्तान के मुद्दे पर कैरी की साफगोई की प्रशंसा करते हुए कहा कि अमरीका ने वही कहा है जैसी मित्र देशों से अपेक्षा होती है। भारत की चारों बातों पर सम्मति व्यक्त की है। आतंकवाद को अच्छा या बुरा बताकर फर्क करने, आतंककारियों को पनाह देने, मुंबई एवं पठानकोट हमलों के दोषियों को सजा दिलाने तथा संयुक्त राष्ट्र की 1267 समिति में समन्वय कायम करने, चारों बातों में एक राय है।

…फिर भी पठानकोट हो गया
भारत पाकिस्तान के बीच तनाव व्याप्त होने तथा बातचीत की संभावना के बारे में एक अमरीकी पत्रकार के सवाल पर स्वराज ने कहा कि भारत की ओर से कोई तनाव नहीं है। भारत अपने मसलों को शांति से सुलझाना चाहता है। हमारी सरकार बनी तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया गया था और तब आधिकारिक स्तर पर बातचीत करना तय हुआ लेकिन पाकिस्तान ने गड़बड़ी कर दी। बाद में वह इस्लामाबाद गईं और मोदी लाहौर गए लेकिन फिर पठानकोट हो गया।

उन्होंने कहा कि भारत इससे ङ्क्षचतित नहीं है। हमने साफ कर दिया है कि आतंकवाद और बातचीत साथ साथ नहीं चल सकती। कैरी ने अफगानिस्तान से जुड़े एक सवाल पर कहा कि अफगानिस्तान में भारत की भूमिका बहुत अहम है। भारत ने दो अरब डॉलर का निवेश किया है। हमारा मकसद है कि वहां की राष्ट्रीय एकता सरकार तालिबान से बातचीत करके संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान निकाले। यह पूछे जाने पर कि भारत एवं अमरीका के प्रयासों से क्या पाकिस्तान अलग थलग पड़ गया है, कैरी ने कहा कि अफगानिस्तान में शांति केवल भारत ही ला पायेगा लेकिन इस प्रक्रिया में पाकिस्तान अलग थलग नहीं पड़ा है बल्कि वह रचनात्मक योगदान के लिए प्रेरित हुआ है।

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