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दिल्ली में भी राष्ट्रपति शासन लगाना चाहती है केंद्र सरकार : केजरीवाल

Published: Feb 03, 2016 07:31:00 pm

केजरीवाल ने घोषणा की कि उनकी सरकार 31 जनवरी तक के कर्मचारियों के बकाया वेतन के भुगतान के लिए 550 करोड़ रुपए का ऋण देगी

arvind kejriwal

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नई दिल्ली/बेंगलूरु। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली नगर निगम के हड़ताली कर्मचारियों से हड़ताल वापस लेने की अपील करते हुए उनके बकाया वेतनों के नियमित भुगतान के लिए 550 करोड़ रुपए का ऋण देने और बकाया 142 करोड़ रुपए का तुरंत भुगतान करने की बुधवार को घोषणा की और निगम में कथित भ्रष्टाचार की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग की।

अपनी खांसी का नेचुरोपैथी से उपचार कराने बेंगलूरु आए केजरीवाल ने बुधवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में हड़तालरत कर्मचारियों से हड़ताल खत्म करने की अपील करते हुए घोषणा की कि उनकी सरकार 31 जनवरी तक के कर्मचारियों के बकाया वेतन के भुगतान के लिए 550 करोड़ रुपए का ऋण देगी। उन्होंने कहा कि ये ऋण उत्तरी और पूर्वी नगर निगम को कर्मचारियों के बकाया वेतन भुगतान के लिए दिया जाएगा। उत्तरी नगर निगम को इसके अलावा स्टाम्प ड्यूटी बिल के रूप में 142 करोड़ रुपए भी दिए जाएंगे।

उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार बहुत मश्किलों से ऋण के रुपए जुटाएगी। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के बकाया वेतन के भुगतान का मामला पूरी तरह फंड के कुप्रबंधन का है और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पूरे मामले का प्रचार इस तरीके से कर रही है जैसे इसके लिए दिल्ली सरकार जिम्मेदार हो। दिल्ली नगर निगमों पर पिछले दस साल से भाजपा का कब्जा है और उसमें बड़े घोटाले किए गए हैं।

उन्होंने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग करते हुए कहा कि जब जांच एजेंसी उनकी जांच कर सकती है तो एमसीडी की क्यों नहीं। एमसीडी के कर्मचारियों के हड़ताल के माध्यम से दिल्ली में संकट होने का प्रचार किया जा रहा है। उन्होंने केंद्र सरकार पर तानाशाही प्रवृत्ति होने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें दूसरों से पता चला है कि मोदी सरकार अरुणाचल प्रदेश की तरह दिल्ली में भी राष्ट्रपति शासन लागू करना चाहती है।

उन्होंने बताया कि एमसीडी कर्मचारियों की 19 यूनियनों का संयुक्त मोर्चा दिल्ली सरकार के अधीन आना चाह रहा है। उन्होंने कहा कि एमसीडी को भंग करके तत्काल चुनाव कराये जाने चाहिए और उनमें निस्संदेह आम आदमी पार्टी की ही
जीत होगी।
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