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राष्ट्रपति नहीं तो उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बने बापू के पोते

Published: Jul 11, 2017 03:52:00 pm

Submitted by:

ललित fulara

उपराष्ट्रपति पद के लिए कांग्रेस समेत 18 प्रमुख विपक्षी दलों ने महात्मा गांधी के पौत्र गोपाल कृष्ण गांधी को संयुक्त रूप से अपना उम्मीदवार बनाने पर मुहर लगा दी है। 

Gopal Krishan Gandhi

Gopal Krishan Gandhi

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष ने अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। कांग्रेस समेत 18 प्रमुख विपक्षी दलों ने महात्मा गांधी के पौत्र और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे गोपाल कृष्ण गांधी को संयुक्त रूप से अपना उम्मीदवार बनाने पर मुहर लगा दी है। 22 अप्रैल 1945 को जन्मे गोपाल गांधी 1968 में आईएएस अफसर चुने गए थे। गोपाल गांधी का नाम इससे पहले विपक्ष की ओर राष्ट्रपति पद के लिए भी आया था। लेकिन सत्तारूढ़ भाजपा की ओर से दलित उम्मीदवार उतारे जाने के बाद विपक्ष ने अपनी रणनीति बदल दी थी।

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इसलिए चुने गए गोपाल गांधी
विपक्ष की ओर से गोपाल गांधी को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुने जाने के पीछे कई सियासी वजहें हैं। इनमें सबसे बड़ी वजह यह है कि वह महात्मा गांधी के पौत्र हैं और उनकी पारिवारिक जड़े गुजरात से जुड़ी हैं। इसके पीछे विपक्ष का मानना है कि गोपाल के उम्मीदवार बनने से पीएम मोदी के सामने राजनीतिक स्थिति सहज नहीं होगी। इसके अलावा पश्चिम बंगाल का राज्यपाल रहते हुए गोपाल गांधी के तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के साथ भी मधुर संबंध रहे थे। 

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विपक्ष को नहीं मिला राजनीतिक उम्मीदवार
इस बार राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव के समय विपक्ष के पास उम्मीदवारों का टोटा रहा है। राष्ट्रपति चुनाव के समय भी विपक्ष के पास राजनीतिक पृष्ठभूमि से जुड़े उम्मीदवार नहीं थे। तब भी पूर्व आईएएस अफसर गोपाल गांधी के अलावा अंबेडकर के पौत्र का नाम सबसे आगे चल रहा है। उपराष्ट्रपति चुनावों में एक बार फिर विपक्ष ने राजनीति उम्मीदवार के बजाए एक पूर्व अधिकारी पर भरोसा जताया है। 

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इन पदों पर रहे हैं गोपाल गांधी
– 1968 में आईएएस अधिकारी के रूप में चुने गए। 1985 तक सेवा में रहे। 
– 1985 में भारत के उपराष्ट्रपति के सचिव के रूप में तैनाती हुई। यहां 2 साल तक सेवा की।
– 1987 से लेकर 1992 तक भारत के राष्ट्रपति के संयुक्त सचिव के तौर पर तैनात रहे। 
– 1997 में राष्ट्रपति के सचिव के रूप में तैनाती मिली। यहां वर्ष 2000 तक सेवाएं दीं।
– 2000 से 2002 तक श्रीलंका, नार्वे और आइसलैंड में भारत की ओर से विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे। 
– वर्ष 2004 पश्चिम बंगाल के राज्यपाल नियुक्त किए गए। वर्ष 2004 में बिहार के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी मिला।

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