त्रिपुरा सरकार ने राज्य से एफएसपीए हटाया
यह अधिनियम हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में सुरक्षा बलों को व्यापक अधिकार और न्यायिक छूट देता है
अगरतला। देश के पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा की वामपंथी सरकार ने बुधवार को राज्य से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (एफएसपीए) हटाने का फैसला किया है। यह अधिनियम हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में सुरक्षा बलों को व्यापक अधिकार और न्यायिक छूट देता है। राज्य में यह अधिनियम 18 साल पहले आतंकवाद कम करने के लिए लगाया गया था।
सत्ताधारी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और आदिवासी आधारित विपक्षी पार्टियां समेत सभी राजनीतिक दल अफस्पा हटाने की मांग कर रहे थे। राज्य के मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने संवाददाताओं से कहा, त्रिपुरा में आतंकवाद के मामलों में कमी को देखते हुए राज्य के मंत्रिमंडल ने आज (बुधवार) पूरे राज्य से अफस्पा हटाने का फैसला लिया है।
उन्होंने कहा, सुरक्षा बलों ने हाल ही में राज्य में कानून-व्यवस्था की विस्तृत रूप से समीक्षा की थी। सुरक्षा बलों की समीक्षा रिपोर्ट्स को ध्यान में रखते हुए राज्य के मंत्रिमंडल ने केंद्रीय गृहमंत्रालय से राज्य से अफस्पा हटाने के लिए अधिसूचना जारी करने की सिफारिश करने का फैसला किया है।
माणिक सरकार ने कहा, यह फैसला पिछले कुछ सालों के दौरान त्रिपुरा में उग्रवाद से संबंधित घटनाओं में कमी के मद्देनजर लिया गया है। हालांकि सुरक्षा बल स्थिति पर निगरानी रखे रहेंगे। त्रिपुरा की जीवन रेखा असम-अगरतला राष्ट्रीय राजमार्ग (राष्ट्रीय राजमार्ग-44) पर वाहनों का परिचालन अब रात के 10 बजे की जगह मध्य रात्रि तक जारी रहेगा।
नेशनल लिबरेशन दो अलगाववादी समूहों नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स त्रिपुरा को भारत से अलग करने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने बांग्लादेश में अपने शिविर भी बनाए हुए हैं।
गृहविभाग के एक अधिकारी ने कहा, त्रिपुरा में भले ही साढ़े चार दशक पुराने आतंकवाद पर काबू पा लिया गया हो लेकिन राज्य सरकार आतंकी संगठनों और उनकी गतिविधियों को लेकर लगातार सतर्क रहेगी।
त्रिपुरा में 74 पुलिस थाने हैं जिनमें से 30 पुलिस थानों में एफएसपीए लगा हुआ है। 26 पुलिस थानों में इसका पूर्ण रूप से पालन होता है जबकि चार थानों में आंशिक रूप से इसका पालन किया जाता है।
त्रिपुरा में पहली बार फरवरी 1997 में इस अधिनियम को लगाया गया था। उस दौरान बांग्लादेश सीमा के पास स्थित राज्य में आतंकवाद अपने चरम पर था। त्रिपुरा के अलावा असम, नागालैंड, अरूणाचल प्रदेश के कुछ जिलों और मणिपुर (इंफाल नगरपालिका परिषद क्षेत्र को छोड़कर) में एफएसपीए अभी भी लागू है।
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