माथुर ने कहा कि गुप्ता ने सरकार के बनाए दिशा-निर्देशों के मुताबिक ही काम किया। कोयला ब्लॉकों के आवंटन की प्रक्रिया में उनका कोई भी नाजायज मकसद नहीं था। उन्होंने कहा कि गुप्ता ने 33 साल तक एक स्वच्छ छवि के साथ सेवा की है। वह अपनी ईमानदारी के लिए जाने जाते थे।
गुप्ता के खिलाफ नौ अलग-अलग मामले चल रहे हैं। खास बात यह है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके खिलाफ तीन मामलों में आरोप पत्र दायर किया है। लेकिन, मामले की आगे की जांच से निकलने वाले तथ्यों के आधार पर विशेष न्यायाधीश भरत पराशर ने उन्हें नौ अलग-अलग मामलों में नौ अलग-अलग तारीखों पर तलब किया।
बीते हफ्ते उन्हें कोयला ब्लॉक आवंटन के चार मामलों में जमानत मिल गई। अदालत ने उन्हें 4 सितंबर को एक अन्य कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में पेश होने के लिए समन जारी किया है।
सीबीआई ने गुप्ता के खिलाफ जिन तीन मामलों में आरोप पत्र तैयार किया है, उन सभी में गुप्ता को जमानत मिल गई थी। लेकिन, झारखंड के राजहारा उत्तरी कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में 31 जुलाई को अदालत ने उनके खिलाफ आरोप तय कर दिए।
गुप्ता के अलावा कोयला मंत्रालय के दो अन्य अधिकारियों के.एस.क्रोप्हा और के.सी. सामरिया के खिलाफ भी चार मामले चल रहे हैं। राज्यसभा सांसद विजय दर्दा और उनके बेटे देवेंद्र दर्दा के खिलाफ कोयला ब्लॉक आवंटन के तीन अलग-अलग मामले चल रहे हैं। आज की तारीख तक सीबीआई कोयला ब्लॉक के 15 मामलों में अपनी रपट दे चुकी है। गुप्ता इन 15 में से 9 मामलों में आरोपी हैं।