जया और 3 अन्य की अपील खारिज करें : एसपीपी
Published: Apr 29, 2015 12:12:00 am
आय से अधिक संपत्ति के मामले में विशेष अदालत से मिली सजा को चुनौती देने संबंधी याचिका निरस्त करने का अनुरोध
बेंगलूरू। नव नियुक्त विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) बीवी आचार्य ने मंगलवार को कर्नाटक हाईकोर्ट में लिखित हलफनामा दायर कर तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता और तीन अन्य की आय से अधिक संपत्ति के मामले में विशेष अदालत से मिली सजा को चुनौती देने संबंधी याचिका निरस्त करने का अनुरोध किया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सोमवार को एसपीपी भवानी सिंह की नियुक्ति को कानून दोषापूर्ण बताते हुए निरस्त करने के बाद कर्नाटक सरकार ने मंगलवार को ही आचार्य को सिंह की जगह नियुक्त किया है।
सुप्रीम कोर्ट के तीन न्यायाधीशों की एक बैंच ने कहा था कि तमिलनाडु सरकार को इस मामले में भवानी सिंह की नियुक्ति का कोई अधिकार नहीं था और यह कानूनन दोषपूर्ण था। लेकिन साथ ही बैंच ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि इससे जयललिता समेत किसी भी अभियुक्त को मामले की नए सिरे से सुनवाई का अधिकार नहीं मिल जाता।
कर्नाटक के विधि मंत्री जयचंद्र ने बताया कि विधि विशेषज्ञों और महाधिवक्ता रवि वर्मा कुमार से परामर्श के बाद आचार्य की एसपीपी के रूप में नियुक्ति की अधिसूचना जारी की गईऔर वे अदालत में सरकार का पक्ष प्रस्तुत करेंगे। पूर्व एडवोके ट जनरल आचार्य को आय से अधिक संपत्ति के मामले में इससे पहले भी विशेष लोक अभियोजक बनाया गया था लेकिन तब 2012 में उन्होंने इच्छुक पक्षों के हाथों पीडित होने का हवाला देते हुए पद छोड़ दिया और भवानी सिंह को उनकी जगह एसपीपी नियुक्त किया गया था।
एसीपी नियुक्त करना जरूरी
जयचंद्र ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में आचार्य को इसलिए नियुक्त किया गया क्योंकि सरकार को लगा कि मामले में अदालत के समक्ष स्पष्टीकरण देने के लिए एसपीपी नियुक्त करना जरूरी है। लिखित हलफनामे में आचार्य ने कहा कि अपील में कर्नाटक सरकार को अभियोग एजेंसी के रूप में पक्ष नहीं बनाए जाने से अभियुक्तों की अपील स्वत: निरस्त होने योग्य है। आचार्य ने कहा कि कर्नाटक सरकार अभियोग एजेंसी है। आपराधिक अपील में अभियोग एजेंसी को पक्ष के रूप में शामिल नहीं करना अपील को निरस्त करने का समुचित कारण है। मालूम हो कि जयललिता और तीन अन्य लोगों द्वारा उनकी सजा को चुनौती देने वाली अपील पर जस्टिस कुमारस्वामी सुनवाई कर रहे हैं।