बैठक के बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह और महासचिव श्याम रजक ने बताया कि इस बैठक में सिर्फ राष्ट्रपति चुनाव को लेकर ही चर्चा हुई है। इसके अलावा अन्य किसी मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हुई है।
बिहार: महागठबंधन पर मचे बवाल के बीच जदयू विधायक दल की बैठक रविवार को मुख्यमंत्री
नीतीश कुमार के सरकारी आवास 1, अन्ने मार्ग पर हुई। बैठक में राजनीतिक स्थितियों पर चर्चा हुई। वहीं सोमवार को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग को लेकर भी सभी विधायक एकजुट हुए। बैठक में सभी 71 विधायक मौजूद थे। हालांकि बैठक के बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह और महासचिव श्याम रजक ने बताया कि इस बैठक में सिर्फ राष्ट्रपति चुनाव को लेकर ही चर्चा हुई है। इसके अलावा अन्य किसी मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हुई है.
भ्रष्टाचार पर जदयू समझौता नहीं करेगा
पार्टी के वरिष्ठ नेता श्याम रजक ने कहा कि भ्रष्टाचार के मामले में जदयू किसी तरह का कोई समझौता नहीं करेगा। जदयू अपने स्टैंड पर पहले की तरह ही कायम है। जहां तक उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव के इस्तीफा देने से जुड़ा मामला है, तो इस पर राजद को निर्णय लेना है। जदयू पहले ही अपनी स्थिति स्पष्ट कर चुका है। राजद को ही इस्तीफा के मामले में अंतिम निर्णय करना है. इससे पहले यह कयास लगाये जा रहे थे कि इस बैठक में
नीतीश कुमार तेजस्वी यादव पर कोई कड़ा फैसला ले सकते हैं।
तेजस्वी के इस्तीफे से राह आसान
वहीं बैठक शुरू होने के पहले जदयू विधायक कविता सिंह ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि अगर तेजस्वी यादव इस्तीफा दे देंगे तो महागठबंधन के लिए अच्छा होगा. जबकि पार्टी के एक अन्य विधायक श्याम बहादुर सिंह ने कहा कि तेजस्वी यादव को इस्तीफा दे देना चाहिए. जेडीयू चुनाव में जाने को तैयार है. उधर, जदयू के वरिष्ठ नेता श्याम रजक ने कहा कि पार्टी ने भी रास्ता बंद नहीं किया और कांग्रेस को यह बताना चाहिए कि भ्रष्टाचार को लेकर उनका स्टैंड क्या है।
तेजस्वी के इस्तीफे से लालू का इनकार
इससे कुछ दिन पहले ही दोनों कैबिनेट बैठक में आमने-सामने आए थे, जिसके बाद तेजस्वी के सुरक्षाकर्मियों ने मीडिया के साथ हाथापाई की थी। शुक्रवार को लालू ने तेजस्वी के इस्तीफे से साफ इनकार कर दिया था। ऐसे में नीतीश और लालू के बीच मतभेद और बढ़ गया है। इस कार्यक्रम से पहले जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा है कि नीतीश ने नैतिकता का उच्च मापदंड स्थापित किया है और खुद पहले ऐसे मामलों में इस्तीफा दे चुके हैं। यानी तेजस्वी के लिए इशारा साफ है।
CBI छापेमारी से गर्माया सियासी पारा
7 जुलाई लालू परिवार पर शरु हुई सीबीआई छापेमारी की आंच जब तेजस्वी तक पहुंची तो बिहार की सियासत में नया उबाल आ गया। बेनामी संपत्ति अर्जित करने के मामले में लालू, राबड़ी, मीसा समेत तेजस्वी के खिलाफ सीबीआई ने एफआईआर दर्ज किया है। जिसके बाद
नीतीश कुमार ने साफ साफ कह दिया कि वह किसी भी हाल में भ्रष्टाचार से समझौता नहीं करेंगे। तो आरजेडी भी इस्तीफा नहीं देने के फैसले पर अड़ी हुई है।
गठबंधन टूटा तो 2019 के आम चुनाव में नुकसान
सूत्रों के मुताबिक, तेजस्वी को कैबिनेट से बाहर किए जाते ही आरजेडी के 11 मंत्री भी इस्तीफा दे देंगे, लेकिन गठबंधन सरकार को बाहर से समर्थन देती रहेगी ताकि महागठबंधन अटूट रहे। आरजेडी का मानना है कि इस कदम से वोटरों के बीच तेजस्वी के प्रति सहानुभूति बढ़ेगी। इसके अलावा, पार्टी पर जेडीयू और कांग्रेस का महागठबंधन तोड़ने का आरोप भी नहीं लगेगा। बता दें कि आरजेडी प्रमुख लालू कई बार यह बात कह चुके हैं कि वह बीजेपी और आरएसएस से लड़ने के लिए महागठबंधन की हिफाजत करेंगे। माना जा रहा है कि यदि महागठबंधन टूटता है तो इन पार्टियों को 2019 के आम चुनाव में नुकसान हो सकता है।