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हठी लोगों की वजह से देश की विविधता नहीं बदल सकती- राष्ट्रपति

Published: Apr 10, 2016 07:02:00 pm

उन्होंने सांप्रदायिक तनाव को लेकर लोगों से सतर्क रहने को कहा, उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि लोकतंत्र मात्र संख्या बल नहीं है बल्कि सहमति बनाने से भी जुड़ा है।

modi and pranab mukherjee

modi and pranab mukherjee

नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बहुलतावाद एवं सहिष्णुता को भारतीय सभ्यता का प्रतीक और विविधता को एक मजबूत तथ्य बताया। प्रणब ने ये चेतावनी दी कि कुछ हठी लोगों की सनक की वजह से इसे कल्पना में नहीं बदलने दिया जा सकता। उन्होंने सांप्रदायिक तनाव को लेकर लोगों से सतर्क रहने को कहा, उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि लोकतंत्र मात्र संख्या बल नहीं है बल्कि सहमति बनाने से भी जुड़ा है।

दिवंगत कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह के सम्मान में मेमोरियल व्याख्यान देते हुए उन्होंने कहा कि एक बहुलवादी लोकतंत्र में नागरिकों और खासकर युवकों के मन में सहिष्णुता के मूल्य, विपरीत विचारों का सम्मान और धैर्य स्थापित करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि बहुलवाद और सहिष्णुता हमारी सभ्यता के प्रतीक रहे हैं। यह मुख्य दर्शन है जिसे निर्बाध जारी रहना चाहिए। क्योंकि, भारत की मजबूती उसकी विविधता में है। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश की विविधता एक तथ्य है। इसे कुछ हठी लोगों की सनक की वजह से कल्पना में नहीं बदलने दिया जा सकता। हमारे समाज की बहुलता सदियों से विचारों के आपस में जुडऩे से बनी है।

उन्होंने कहा कि भारत की मजबूती इसकी सहिष्णुता में है। यह सदियों से सामूहिक सद्विवेक का हिस्सा है और यही एकमात्र रास्ता है जो देश के लिए सही तरीके से काम करेगा। महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए प्रणब ने कहा कि कई बार निहित स्वार्थों के लिए सांप्रदायिक सौहार्द की परीक्षा ली जाती है। इसलिए हमें सांप्रदायिक तनाव को लेकर सतर्क रहना होगा जो कहीं भी अपना खतरनाक सिर उठा सकता है। किसी भी चुनौतीपूर्ण स्थिति से निपटने में कानून ही एकमात्र आधार होना चाहिए। हमारा लोकतांत्रिक स्तम्भ कायम रहना चाहिए।

प्रणब ने कहा कि हमें अराजकता के लिए कोई स्थान नहीं छोडऩा चाहिए, वहीं अच्छी नीतियां बनाने के लिए प्रभावी लोकतांत्रिक मशीनरी और लोगों का विचार जानना भी जरूरी है। राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि अर्जुन सिंह एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिनका दिल और दिमाग दोनों जमीन से जुड़ा हुआ था। सत्ता में रहकर भी उन्होंने न तो सादगी छोड़ी न ही आम आदमी के प्रति अपनी चिंता को छोड़ा।
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