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मैं भारत में तीव्र गति से विकास चाहता हूं: पीएम मोदी

Published: Aug 26, 2016 04:34:00 pm

पीएम मोदी ने ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया विषय पर बोलते हुए कहा कि सरकार की कार्यशैली में बदलाव से ही देश में बदलाव आएगा

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया विषय पर बोलते हुए कहा कि सरकार की कार्यशैली में बदलाव से ही देश में बदलाव आएगा। इसके लिए सभी लोगों को अपने सोच में बदलाव लाना होगा। केंद्र की मौजूदा सरकार तेजी से देश में बदलाव लाना चाहती है। इसके लिए उन कानूनों को बदलने की आवश्यकता है जो अब प्रासंगिक नहीं हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के तीव्र परिवर्तन के बारे में विचार प्रकट करते हुए शुक्रवार को कहा कि इसके लिए देश को कानूनों में बदलाव, अनावश्यक औपचारिकताओं को समाप्त करने और प्रक्रियाओं को तीव्र करने की आवश्यकता है क्यों कि च्केवल रत्ती-रत्ती प्रगतिज् से काम नहीं चलेगा। मोदी ने कहा कि एक-दूसरे से जुड़े विश्व में विकास एवं युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए देश में शासन में बदलाव जरूरी है।

दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीति आयोग लेक्चर सीरीज का शुभारंभ किया। इस मौके पर सिंगापुर के उप प्रधानमंत्री भी मौजूद थे। पीएम ने कहा कि सिंगापुर की प्रगति हमें प्रेरणा देती है कि भारत अपने संसाधनों के बल पर दुनिया का अग्रणी देश बन सकता है। भारत हो या कोई दूसरा मुल्क अलग-थलग रहकर प्रगति नहीं कर सकता है।

उन्‍होंने कहा कि 21वीं सदी में हम 19वीं सदी के प्रशासन व्यवस्था के साथ नहीं चल सकते इसलिए व्यापक बदलाव की जरूरत है और वह भी तेजी से न कि धीरे-धीरे। 30 साल पहले देश की अलग स्थिति थी, आज देश आपस में एक दूसरे पर निर्भर और परस्पर जुड़े हुए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके लिए हमें अपने विचारों को हर ओर से खोलने की जरूरत है और इसे दुनिया के परिप्रेक्ष्य में ले जाना होगा। हर देश की ताकत, अपने अनुभव और संसाधन होते हैं। मैं भारत में तीव्र गति से विकास चाहता हूं। हमें इसके लिए कानूनों में बदलाव करना होगा साथ ही अनावश्यक चीजों को निकालना होगा। इसके अलावा नई तकनीकों को भी शामिल करना होगा।

उन्होंने कहा कि भारत की नई पीढ़ी की सोच अलग और महात्वागकांक्षी है जिसके कारण अब सरकार अपने अतीत की जड़ों से जुड़कर नहीं रह सकती है। बदलाव की बात पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि मानसिकता में बदलाव के बिना प्रशासन में बदलाव नहीं आ सकता और यह विचारों में बदलाव के बिना हो ही नहीं सकता है। भारत का बदलाव प्रशासन में बदलाव के बिना नहीं हो सकता।
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