पारदर्शिता, आंतरिक लोकतंत्र व
जवाबदेही को पार्टी संविधान का हिस्सा जरूर बनाया, लेकिन व्यवस्था में नहीं लाए।
प्रशांत भूषण ने कहा कि पार्टी को मिलने वाले चंदे का विवरण बेशक वेबसाइट पर है, पर
पैसा खर्च कहां हो रहा है इसका जिक्र नहीं किया जा रहा है। लोकपाल के सवाल पूछने पर
उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। विभिन्न स्तर पर पदाधिकारियों के चुनाव को आप ढाई
बरस तक नहीं करा पाई। भूषण ने कहा कि अरविंद केजरीवाल को पार्टी सुप्रीमो के रूप
में प्रमोट करना भी सबसे बड़ी गलती रही। लोकतंत्र की खामी यह है कि नीति निर्धारण
में आम आदमी की सहभागिता नहीं है। हमें विकेंद्रीकरण के लिए लड़ना है। राज्य की
नीति राज्य, गांव की गांव निर्धारित करें।
प्रशांत भूषण ने कहा कि स्वराज अभियान के संदर्भ में उन्होंने कहा कि इसका मकसद भ्रष्टाचार मुक्त समाज से आगे भी विभिन्न मुद्दों पर जनमानस को लामबंद करना है। अन्ना ने कहा था राजनीति कीचड़ है, इसमें उतरोगे तो तुम भी सन जा ओगे। ये पैसे से सत्ता और सत्ता से पैसे का खेल है। मैं अन्ना की इस बात से सहमत नहीं। हमारा मकसद व्यवस्था परिवर्तन का हिस्सा बनना है।
ऎसे में महिलाओं का अधिक प्रतिनिधित्व देख प्रसन्नता हुई। वह राज्य में स्वराज अभियान की अगुवा बनें। उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश एनजीओ व सिविल सोसाइटी को दबाने की है। किसी तरह भी उनकी फंडिंग पर अडंगा लगाने की मंशा है। बस एक एजेंडा है संसाधन लूट लो, मुनाफा बनाते जाओ पर खिलाफत में खड़े रहने वाला कोई न रहे।
प्रशांत भूषण ने कहा कि स्वराज अभियान के संदर्भ में उन्होंने कहा कि इसका मकसद भ्रष्टाचार मुक्त समाज से आगे भी विभिन्न मुद्दों पर जनमानस को लामबंद करना है। अन्ना ने कहा था राजनीति कीचड़ है, इसमें उतरोगे तो तुम भी सन जा ओगे। ये पैसे से सत्ता और सत्ता से पैसे का खेल है। मैं अन्ना की इस बात से सहमत नहीं। हमारा मकसद व्यवस्था परिवर्तन का हिस्सा बनना है।
प्रशांत भूषण ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि पार्टी ने सत्ता
में आने के बाद सौहार्द बिगाड़ने का काम किया है। हमें अमन चैन कायम करना है। इसके
लिए समाज के बुद्धिजीवी, स्वीकार्य व आदरणीय लोगों को साथ लेकर विभिन्न स्तर पर अमन
समीतियां गठित की जाएंगी। महिलाओं में ममता, सद्भावना व सार्वजनिक हित की भावना
अधिक है।
ऎसे में महिलाओं का अधिक प्रतिनिधित्व देख प्रसन्नता हुई। वह राज्य में स्वराज अभियान की अगुवा बनें। उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश एनजीओ व सिविल सोसाइटी को दबाने की है। किसी तरह भी उनकी फंडिंग पर अडंगा लगाने की मंशा है। बस एक एजेंडा है संसाधन लूट लो, मुनाफा बनाते जाओ पर खिलाफत में खड़े रहने वाला कोई न रहे।