साल 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी का खाता न खुलना और 2017 के विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद मायावती को लगा कि दलित वोट बैंक के बीच उनका जनाधार खत्म हो रहा है।
नई दिल्ली: राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद बसपा प्रमुख
मायावती ने साल 2019 की तैयारी शुरू कर दी है। रविवार को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कोआर्डिनेटर के साथ बैठक के बाद
मायावती ने अपनी आगे की रणनीति का खुलासा किया।
मायावती ने कहा कि वो हर महीने की 18 तारीख को मंडल स्तर पर कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगी।
18 तारीख के बारे में
मायावती का कहना है कि यह तारीख उनके लिए खास है। 18 तारीख को ही उन्हें राज्यसभा से इस्तीफा देना पड़ा। इसलिए वो 18 सितंबर से अपने अभियान की शुरूआत करेंगी। पहले चरण में
मायावती 18 सितंबर 2017 से 18 जून 2018 तक हर महीने रैली और बैठक करेंगी। उसके बाद आगे की रणनीति तय करेंगी।
क्यों उठाया अगला कदम
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी का खाता न खुलना और 2017 के विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद
मायावती को लगा कि दलित वोट बैंक के बीच उनका जनाधार खत्म हो रहा है। इसलिए उन्होने जनता के बीच जाने का फैसला किया है।
क्या रही इस्तीफे की वजहमायावती ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए इस्तीफे का कारण भी बताया। बसपा प्रमुख ने कहा कि केंद्र में जातिवादी और संकीर्ण विचारधारा वाली सरकार है। उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद राज्य की स्थिति और भी खराब हो गई है।
मायावती ने कहा कि सहारनपुर में दलितों पर जो अत्याचार हुआ उसके पीछे भाजपा का हाथ था।
आगे की रणनीतिमायावती ने कहा कि वो केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रहेंगी बल्कि अन्य राज्यों में भी दौरा करेंगी और भाजपा के खिलाफ आवाज उठाएंगी।
मायावती के करीबी सूत्रों के मुताबिक अगर दलित वोट बैंक एकजुट होता है तो आगे की रणनीति तय की जाएगी कि गठबंधन करके या फिर अकेले चुनाव लड़ना है।