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केजरीवाल सरकार को झटका, नहीं मिलेंगे जब्त दस्तावेज

Published: Feb 10, 2016 05:15:00 pm

दिल्ली सरकार की याचिका पर निचली अदालत ने सीबीआई को दिए आदेश में कहा था
कि छापे के दौरान जब्त किए गए सरकारी दस्तावेज वह दिल्ली सरकार को लौटा दे

Arvind Kejriwal

Arvind Kejriwal

नयी दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार के प्रधान सचिव राजेन्द्र कुमार के दफ्तर में केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के छापे के दौरान जब्त किए गए दस्तावेज लौटाए जाने के निचली अदालत का फैसला बुधवार को निरस्त कर दिया। दिल्ली सरकार की याचिका पर निचली अदालत ने सीबीआई को दिए आदेश में कहा था कि छापे के दौरान जब्त किए गए सरकारी दस्तावेज वह दिल्ली सरकार को लौटा दे क्योंकि इनकी वजह से सरकारी कामकाज प्रभावित हो रहा है।

सीबीआई ने निचली अदालत के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। सीबीआई ने भ्रष्टाचार के एक मामले में 15 दिसंबर 2015 को कुमार के दफ्तर में छापा मारा था और उसी दौरान ये दस्तावेज जब्त किए थे। न्यायमूर्ति पीएस तेजी की खंडपीठ ने निचली अदालत के फैसले को निरस्त करते हुए कहा कि इस मामले में निचली अदालत ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर फैसला सुनाया है ऐसे में यह फैसला खुद ही विरोधाभासी है, जिसे निरस्त किया जाता है।

सीबीआई ने हाई कोर्ट में एक फरवरी को दी गई दलील में कहा था कि जो दस्तावेज उसने जब्त किए हैं उससे दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार का कामकाज किसी तरह से प्रभावित नहीं हो रहा है। उसने यह भी कहा था कि जांच के प्रारंभिक चरण में दस्तावेज की अहमियत का खुलासा नहीं किया जा सकता। ऐसा किए जाने से जांच प्रभावित हो सकती है। सीबीआई की ओर से कोर्ट में पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सीबीआई के पास जो दस्तावेज हैं उससे दिल्ली सरकार के कामकाज पर कोई असर नहीं पडऩे वाला है, साथ ही यह कहना भी सही नहीं है कि जांच में इन दस्तावेज का कोई काम नहीं है। इस बारे में निचली अदालत के आदेश से जांच एजेंसी का मनोबल गिरा है।

दिल्ली सरकार ने सीबीआई के इरादों पर सवाल उठाते हुए कहा था कि जांच एजेंसी ने कुमार के कार्यालय से जो दस्तावेज उठाए हैं उनका जांच से कोई लेना देना नहीं है। दस्तावेज की गैर मौजूदगी से सरकारी काम काज प्रभावित हो रहा है। इसपर सीबीआई की ओर से दी गई दलील में कहा गया था कि इन दस्तावेज की फोटो कॉपी दिल्ली सरकार को दी जा चुकी थी, ऐसे में दस्तावेज लौटाए जाने की बात को कोई मतलब नहीं था।

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