शिवसेना के विधायकों ने सरकार पर अपनी अनदेखी का आरोप लगाया, उद्धव ठाकरे जल्द ही मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस से मिलेंगे
मुंबई। महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना के बीच तल्खी बढ़ गई है। शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे के घर पार्टी विधायकों की बैठक हुई। इसमें सरकार के कामकाज के तरीके पर सवाल खड़े किए गए।
विधायकों ने सरकार पर लगाया अनदेखी का आरोपविधायकों ने सरकार पर अपनी अनदेखी का आरोप लगाया। उद्धव ठाकरे जल्द ही मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस से मिलेंगे। बात नहीं बनी तो शिवसेना सरकार से बाहर आ जाएगी। शिवसेना के मुखपत्र सामने को दिए साक्षात्कार में भी ठाकरे ने सरकार से बाहर आने के संकेत दिए हैं। संजय राउत को दिए साक्षात्कार में ठाकरे ने कहा कि अगर राज्य सरकार के कारण पार्टी को परेशानी होती है तो शिवसेना सरकार से बाहर हो जाएगी। यही नहीं ठाकरे ने दावा किया कि उनकी पार्टी अकेले नगर निगम चुनाव लड़ेगी।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक विधायकों के साथ बैठक में साझा सरकार से बाहर निकलने पर चर्चा हुई। हालांकि इस पर अंतिम फैसला नहीं हो पाया। पार्टी का मानना है कि सरकार में होने के बावजूद उनके विधायकों के काम नहीं हो रहे। बैठक में शिवसेना के विधायकों ने अपने ही मंत्रियों पर सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया। 6 विधायकों ने राजन साल्वी के नेतृत्व में ठाकरे को अपने अपने क्षेत्र में आधे अधूरे कामों की एक लिस्ट भी सौंपी।
पार्टी के मंत्रियों पर लगाया काम नहीं करने का आरोपविधायकों का कहना था कि भाजपा के मंत्री पहले से ही हमारे काम नहीं कर रहे थे लेकिन अब शिवसेना के मंत्री भी हमारे कामों को प्राथमिकता नहीं दे रहे हैं। गत बुधवार को प्रदेश के एमएसआरडीसी मंत्री एकनाथ शिंदे की मौजूदगी में शिवसेना के विधायकों की बैठक हुई थी। उसमें विधायकों ने नाराजगी जाहिर की थी। 2014 के विधानसभा चुनाव में 288 में से भाजपा को 122 और शिवसेना को 63 सीटें मिली थी। दोनों पार्टियों ने अलग अलग चुनाव लड़ा था। नतीजों के बाद जब सरकार बनी तो शिवसेना साथ नहीं थी। एनसीपी के सहयोग से फडणवीस ने अपना बहुमत साबित किया था। बाद में शिवसेना सरकार में शामिल हुई।
शिवसेना को घेरा तो सरकार से बाहर हो जाऐंगेमंगलवार को प्रकाशित इंटरव्यू की दूसरी किश्त में उद्धव ने 25 साल पुराने भाजपा-शिवसेना गठबंधन को तोडऩे की बात की है। हालांकि ठाकरे ने मुख्यमंत्री फडणवीस की तारीफ की है। उन्होंने कहा,मुख्यमंत्री फडणवीस अच्छा काम कर रहे हैं लेकिन सत्ता का इस्तेमाल कर शिवसेना को घेरा जाएगा तो पार्टी सरकार से बाहर निकल जाएगी। शिवसेना की एकछत्र सत्ता कब की आ गई होती लेकिन हमारे 25 साल गठबंधन में सड़ गए। मुख्यमंत्री नए हैं। वे पूरी कोशिश कर रहे हैं। अस्थिरता उनके हिस्से नहीं आई है,इसलिए मुझे पूरा विश्वास है कि वे अच्छा काम कर सकेंगे। जो अस्थिरता है वो भाजपा के अंदर के लोग कर रहे हैं। मैं सरकार को अस्थिर करके कभी ब्लैकमेल नहीं करूंगा। मैं जो भी बोलूंगा खुलकर बोलूंगा।
भाजपा-शिवसेना का गठबंधन भविष्य में भी रहेगा या नहीं यह दोनों पार्टियों पर निर्भर है। अगर भाजपा अपने दम पर लडऩे का नारा लगाएगी तो शिवसेना भी चुप नहीं बैठेगी। मैं भी शिवसेना का मुख्यमंत्री लाऊंगा। ये तो मेरा प्रण है। अगर युति(गठबंधन) से संभव नहीं हुआ तो युति नहीं होगी। ठाकरे ने कहा, शिवसेना अगर अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ती रहती तो आज की तस्वीर अलग होती। व्यक्तिगत तौर पर मेरा मुख्यमंत्री से कोई झगड़ा नहीं है। हमारी 25 साल की युति हिंदुत्व पर आधारित थी अब किस पर है यह तय करना होगा। शिवसेना ने बेवजह कोई आरोप नहीं लगाए। जो बातें जनता के हित में होती है उन्हीं का शिवसेना ने समर्थन किया है।
संवाद कायम करने वालों की पीढ़ी खत्म हो गई शिवसेना और भाजपा के बीच संवाद कायम करने वाले पुरानी पीढ़ी के लोग अब नहीं रहे,जिस कारण कई बार भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है। पहले भी शिवसेना का दिल्ली से संवाद कम ही होता था लेकिन जब अटल जी और आडवाणी जी जैसे भाजपा के वरिष्ठ नेता शिवसेना प्रमुख बाला साहब ठाकरे से प्रमुख मसलों पर चर्चा कर लिया करते थे। उस वक्त प्रमोद महाजन जैसे नेता थे जो महाराष्ट्र के होते हुए भी राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय थे और भाजपा-शिवसेना के बीच संवाद स्थापित करने का काम किया करते थे। उनके न रहने पर गोपीनाथ मुंडे भी दिल्ली के नेताओं तक शिवसेना की आवाज पहुंचाते थे लेकिन इन दोनों नेताओं के न रहने के बाद नई पीढ़ी आ गई।
उसे आते ही सत्ता भी हासिल हो गई। अब सत्ता पर मजबूती से काबित होने के बाद उन्हें स्थिरता की ओर भी देखना चाहिए। भाजपा और शिवसेना के बीच संवाद कायम करने की कोशिश दोनों दलों को मिलकर करनी चाहिए। उनके और मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के बीच संवाद ठीकठाक है लेकिन उनके और दिल्लीश्वर(प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी)के बीच भी संवाद कायम करने का प्रयास भाजपा को करना चाहिए। वह मोदी के कामकाज की तारीफ भी करते हैं। मोदी सरकार ने अब तक कई अच्छे फैसले लिए हैं। उनमेें से चार पांच छांटकर बताना मुश्किल है लेकिन अब तक लिए गए फैसलों में से कुछ के परिणाम भी सामने आने चाहिए। इनका लाभ देश के आम आदमी को मिलते हुए नजर आना चाहिए।