पटना। भ्रष्टाचार के मुकदमे का सामना कर रहे बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को लेकर सत्ताधारी महागठबंधन पर मंडरा रहा संकट टला नहीं है। जेडीयू और आरजेडी किसी भी तरह से गठबंधन को बचाने की कवायद कर रही हैं। जुबानी हमले के साथ दोनों पार्टियां अतिरिक्त सतर्कता बरत रही हैं। सूत्रों के अनुसार, राजद ने योजना बनाई है कि तेजस्वी खुद इस्तीफा नहीं देंगे और सीएम
नीतीश कुमार की ओर से बर्खास्तगी के आदेश आने का इंतजार करेंगे। अगर तेजस्वी बर्खास्त होते हैं तो उसके बाद आरजेडी के सभी मंत्री इस्तीफा दे सकते हैं। हालांकि, सरकार को कोई खतरा न हो, इसलिए आरजेडी बाहर से महागठबंधन को सहयोग देती रहेगी।
तेजस्वी के इस्तीफे पर अड़ी जदयू
बिहार के मुख्यमंत्री
नीतीश कुमार के अडियल रुख और भ्रष्टाचार से समझौता नहीं करने के जदयू के दावे के बाद तेजस्वी यादव के इस्तीफे को लेकर महागठबंधन पर तनातनी कायम है। राजद तेजस्वी के इस्तीफा नहीं देने के स्टैंड पर कायम है। महागठबंधन बरकरार रखने के लिए कांग्रेस भी सिरे से जुट गई। सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने नीतीश और लालू यादव से अलग-अलग बात की और समस्या का समाधान निकालने के प्रयास किए।
नीतीश के साथ मंच पर नहीं पहुंचे तेजस्वी, हटाई नेम प्लेट
भ्रष्टाचार का केस होने के बाद पहली बार शनिवार को तेजस्वी यादव और मुख्यमंत्री नीतीश यादव को एक साथ मंच साझा करना था। सीएम और डिप्टी सीएम को वर्ल्ड यूथ स्किल डे के मौके पर पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होना था, लेकिन तेजस्वी यादव कार्यक्रम में नहीं पहुंचे। मंच से तेजस्वी यादव की नेम प्लेट भी हटा ली गई है। इससे पहले मंच पर सीएम की कुर्सी के पास उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की नेम प्लेट को ढंक दिया गया था। यह इसलिए था, क्योंकि आयोजकों को यह भी संदेह था कि क्या कार्यक्रम में तेजस्वी आएंगे या नहीं।
तेजस्वी के इस्तीफे से लालू का इनकार
इससे कुछ दिन पहले ही दोनों कैबिनेट बैठक में आमने-सामने आए थे, जिसके बाद तेजस्वी के सुरक्षाकर्मियों ने मीडिया के साथ हाथापाई की थी। शुक्रवार को लालू ने तेजस्वी के इस्तीफे से साफ इनकार कर दिया था। ऐसे में नीतीश और लालू के बीच मतभेद और बढ़ गया है। इस कार्यक्रम से पहले जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा है कि नीतीश ने नैतिकता का उच्च मापदंड स्थापित किया है और खुद पहले ऐसे मामलों में इस्तीफा दे चुके हैं। यानी तेजस्वी के लिए इशारा साफ है।
गठबंधन टूटा तो 2019 के आम चुनाव में नुकसान
सूत्रों के मुताबिक, तेजस्वी को कैबिनेट से बाहर किए जाते ही राजद के 11 मंत्री भी इस्तीफा दे देंगे, लेकिन राजद सरकार को बाहर से समर्थन देती रहेगी ताकि महागठबंधन अटूट रहे।’ राजद का मानना है कि इस कदम से वोटरों के बीच तेजस्वी के प्रति सहानुभूति बढ़ेगी। इसके अलावा, पार्टी पर जेडीयू और कांग्रेस का महागठबंधन तोड़ने का आरोप भी नहीं लगेगा। बता दें कि राजद प्रमुख लालू कई बार यह बात कह चुके हैं कि वह बीजेपी और आरएसएस से लड़ने के लिए महागठबंधन की हिफाजत करेंगे। माना जा रहा है कि यदि महागठबंधन टूटता है तो इन पार्टियों को 2019 के आम चुनाव में नुकसान हो सकता है।
संकट की जड़ः सीबीआई ने दर्ज किया है केस
सीबीआई ने तेजस्वी के खिलाफ भ्रष्टाचार के एक मामले में केस दर्ज किया है। इसके बाद से ही नीतीश पर उनको बर्खास्त करने का दबाव बढ़ता जा रहा है। राजद के एक नेता ने बताया, चारा घोटाले में सीबीआई कोर्ट में पेशी के लिए लालू के रांची रवाना होने से पहले बुधवार को पार्टी ने यह फैसला लिया है। लालू, उनके खास और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने फैसला किया है कि वे नीतीश की ओर से तेजस्वी को बर्खास्त करने का इंतजार करेंगे। आरजेडी नेता के मुताबिक, अगर तेजस्वी इस्तीफा देते हैं तो पार्टी कैडर का मनोबल गिरेगा और जनता के बीच यह धारणा बनेगी कि लालू परिवार ने कुछ न कुछ गलत जरूर किया है।
सोनिया गांधी भी लालू और नीतीश के संपर्क में
उधर, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी लालू और नीतीश के संपर्क में हैं। मकसद दोनों नेताओं को यह समझाना है कि वे ऐसा कोई कदम न उठाएं, जिससे बिहार में गठबंधन को नुकसान पहुंचे। सोनिया ने लालू और नीतीश को बुधवार और बाद में शुक्रवार को फोन किया और बिहार के राजनीतिक हालात पर चर्चा की। कांग्रेस को पता है कि अगर महागठबंधन टूटता है तो केंद्र में भाजपा विरोधी फ्रंट बनाने की विपक्ष की कोशिशों को तगड़ा झटका लग सकता है।