नई दिल्ली। दलित नेता और सामाजिक न्याय राज्य मंत्री रामदास अठावले ने अगड़ी जातियों के लिए आरक्षण की मांग की है। उन्होंने नौकरी और शिक्षा में अगड़ी जातियों के गरीबों के लिए 25 फीसदी आरक्षण और तात्कालिक 49.5 फीसदी आरक्षण को बढ़ाकर 75 फीसदी करने की पैरवी की है।
हर जाति के गरीब को मिले आरक्षण
उन्होंने कहा कि वह हमेशा से हर जाति के गरीब को आरक्षण देने के पक्ष में रहे हैं। चाहे वो गुजरात के पटेल, महाराष्ट्र के मराठा, ब्राह्मण और हरियाणा के जाट क्यों ना हो। इसके लिए आरक्षण को 75 फीसदी तक बढ़ा देना चाहिए।
आरक्षण विवाद पर मोदी और शाह से करेंगे बातचीत
अठावले ने एससी, एसटी और ओबीसी को दिए जाने वाले आरक्षण में कोई बदलाव की बात नहीं की है। उन्होंने कहा कि चाहे कितना भी विरोध क्यों ना हो आरक्षण को खत्म नहीं किया जा सकता। आरक्षण पर उठ रहे विवाद को लेकर वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से बातचीत करेंगे। इसे मुद्दे को संसद में उठाया जाएगा और संवेधानिक संशोधन भी किया जाएगा।
सामाजिक न्याय का मतलब आर्थिक रूप से कमजोर को ऊपर उठाना है
अठावले ने मंगलवार को कहा, अगड़ी जाति के जिन लोगों की सालाना आय 6 लाख से ऊपर है उनको नौकरी और शिक्षा में आरक्षण दिया जाना चाहिए। रामदास अठावले महाराष्ट्र से आरपीआई (ए) के नेता हैं। उन्होंने तमिलनाडु का उदाहरण देते हुए कहा कि सामाजिक न्याय का मतलब है आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को ऊपर उठाना। आरक्षण को लेकर मराठा, गुजरात के पटेल, राजपूत समुदाय आंदोलन कर रहे हैं। ब्राह्मण भी आर्थिक रूप से कमजोर श्रेणी में आए हैं। ऐसे में 25 फीसदी आरक्षण दिया जाना चाहिए।
अगड़ों को आरक्षण देने से दलितों और अन्य जातियों को कोई परेशानी नहीं
अठावले ने कहा कि अगड़ी जातियों के गरीबों को आरक्षण देने से दलितों और अन्य पिछड़ी जातियों को कोई परेशानी नहीं है। इससे उनके आरक्षण कोटा पर भी कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। 2011 की जनगणना के हिसाब से भारत में एससी की आबादी 16.6 फीसदी, एसटी की 8.6 फीसदी और ओबीसी की 52 फीसदी है। फिलहाल इनके लिए नौकरियों में कुल 49.5 प्रतिशत आरक्षण है। एससी के लिए 15 फीसदी, एसटी के 7.5 फीसदी और ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण का प्रावधान है।
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