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साउथ से हैं, मोदी और RSS के भरोसेमंद, जानिए वेंकैया के उपराष्ट्रपति उम्मीदवारी के 5 कारण

Published: Jul 17, 2017 09:01:00 pm

Submitted by:

ghanendra singh

एक ओर जहां विपक्षी दलों ने गोपालकृष्ण गांधी को उपराष्ट्रपति पद का संयुक्त उम्मीदवार घोषित किया है तो वहीं एनडीए की ओर से केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू के नाम की घोषणा की गई है।

venkaiah naidu

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नई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव के बाद अब उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर देश का राजनीतिक माहौल गरमा गया है। एक ओर जहां विपक्षी दलों ने गोपालकृष्ण गांधी को उपराष्ट्रपति पद का संयुक्त उम्मीदवार घोषित किया है तो वहीं एनडीए की ओर से केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू के नाम की घोषणा की गई है। आइए आपको बताते हैं कि कैसा रहा वेंकैया का राजनीतिक करियर और किन वजहों से उन्हें उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए चुना गया।


‘जय आंध्र आंदोलन’ से चर्चा में आए वेंकैया
वेंकैया का जन्म 1947 में आंध्र प्रदेश में हुआ था। वेंकैया का नाम सबसे पहले 1972 के जय आंध्र आंदोलन से सुर्खियों में आया। वेंकैया ने नेल्लोर के आंदोलन में हिस्सा लेते हुए विजयवाड़ा के आंदोलन का नेतृत्व किया। 1974 में वे आंध्र विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए और सही मायने में इसी के साथ उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई। इसके बाद वह आपातकाल के दौरान जेपी आंदोलन से जुड़े। आपातकाल के बाद ही उनका जुड़ाव जनता पार्टी से हो गया। बाद में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा। 2002 से 2004 तक उन्हें भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया। वेंकैया पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वायजेपी के करीबी थे, जिस वजह से उन्हें वाजपेयी सरकार में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री का दायित्व सौंपा गया। मौजूदा समय में वेकैंया नायडू केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हैं।
 
venkaiah naidu modi के लिए चित्र परिणाम

तो इसलिए वेंकैया के नाम पर लगी मुहरवेंकैया नायडू शुरु से ही पार्टी के भरोसेमंद रहे हैं। उन्हें 1980 में बीजेपी यूथ विंग का अध्यक्ष बनाया गया था। शुरुआती दौर में वे आंध्र बीजेपी के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक थे। कुछ सालों बाद पार्टी ने उनका कद बढ़ाते हुए 1988 में उन्हें आंध्र बीजेपी का अध्यक्ष बना दिया। आंध्र प्रदेश अध्यक्ष बनने के कुछ ही सालों बाद दिल्ली के राजनीतिक गलियारे में उनको जगह मिल गई। 1993 से 2000 तक वेंकैया बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव रहे। पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा को देखते हुए 2002 में उन्हें बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की कमान सौंप दी गई। उसके बाद चाहे अटल बिहारी वाजपेयी हों या आडवाणी या फिर मोदी, सभी की पसंद वेंकैया रहे हैं। केंद्र सरकार वेंकैया नायडू को कई संसदीय समितियों का सदस्य भी बना चुकी है।

राज्यसभा सदस्य होने के चलते अच्छा अनुभववेंकैया नायडू 1998 से लगातार राज्यसभा के सदस्य हैं। मौजूदा समय में वे राजस्थान से राज्यसभा के सदस्य हैं। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं और सदन की कार्रवाई में अहम भूमिका निभाते हैं। ऐसे में वेंकैया का अनुभव सरकार के काम आएगा। इनके अनुभव के चलते ही इन्हें संसदीय कार्य मंत्री बनाया गया था।

वेंकैया की वजह से दक्षिण भारत में मजबूत होगी पकड़
उत्तर भारत में बीजेपी की पकड़ मजबूत है लेकिन दक्षिण भारत में बीजेपी कमजोर पड़ जाती है। अगर वेंकैया उपराष्ट्रपति बनते हैं तो दक्षिण भारत में पार्टी की पकड़ मजबूत होगी, साथ ही 2019 के चुनाव में भी एनडीए को फायदा होगा।

RSS के प्रमुख पदाधिकारियों में अच्छी पैठ
राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक आरएसएस के पदाधिकारियों से वेंकैया के अच्छे संबंध है। ऐसे में जब बीजेपी की ओर से उनका नाम सामने किया गया तो आरएसएस की ओर से कोई आपत्ति नहीं दर्ज करवाई गई।

दक्षिण में बीजेपी को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका
वेंकैया ने आंध्र प्रदेश के कई आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके साथ ही दक्षिण भारत में वेंकैया की जमीनी पकड़ बहुत मजबूत है। दक्षिण भारत से संबंधित फैसलों पर मोदी और बीजेपी वेंकैया की राय जरूर लेती है। इसके साथ ही शुरुआती दौर में जब आंध्र और दक्षिण के अन्य राज्यों में बीजेपी कमजोरी थी, तो वेंकैया ने पार्टी को मजबूत बनाने के लिए विशेष योगदान दिया।



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