2015 के चुनाव में राजद-जदयू व कांग्रेस के महागठबंधन को करीब 42 प्रतिशत वोट मिले थे। नीतीश के भ्रष्टाचार के खिलाफ किए गए इस दांव से लालू की छवि खराब होगी। दोनों अलग होंगे तो राजद को नुकसान ज्यादा होगा।
पटना: नीतीश कुमार के बिहार मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद महागठबंधन टूटने की संभावना बढ़ गई है। महागठबंधन में जनता दल यू, राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस शामिल है।
इस्तीफे के मायने
लालू के लिए
10 साल बाद 2015 के चुनाव में लालू ने धमाका किया था। राजद-जदयू व कांग्रेस के महागठबंधन को करीब 42 प्रतिशत वोट मिले थे। नीतीश के भ्रष्टाचार के खिलाफ किए गए इस दांव से लालू की छवि खराब होगी। दोनों अलग होंगे तो राजद को नुकसान ज्यादा होगा।
नीतीश के लिए
‘सुशासन बाबू’ की छवि और मजबूत होगी। पीएम ने भ्रष्टाचार की लड़ाई लिए उनके इस कदम का स्वागत किया है। 2010 मुकाबले 2015 में नीतीश को 44 सीटों का घाटा हुआ था। यदि चुनाव होते हैं तो उन्हें इस कदम का फायदा मिलेगा।
भाजपा-कांग्रेस के लिए
भाजपा का सियासी दांव मजबूत होता दिख रहा है। सुशील मोदी के आरोपों से राजद की छवि बिगड़ी और हाल ही के घटनाक्रमों से नीतीश-पीएम मोदी के बीच दूरियां घटी हैं। कांग्रेस को इस मामले में नुकसान होगा, क्योंकि वह लालू के साथ है और अपना स्टैंड नहीं बदली है।
इस्तीफे का कारण
नीतीश के इस्तीफे का कारण उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर बेनामी संपत्ति मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद जदयू ने उनके इस्तीफे की मांग शुरू कर दी थी। लेकिन राजद अध्यक्ष
लालू प्रसाद यादव ने तेजस्वी के इस्तीफे से इनकार कर दिया। जिसके बाद से महागठबंधन टूटने औऱ सरकार गिरने के कयास लगाए जा रहे थे।
गौरतलब है कि राजद, जद यू औऱ कांग्रेस तीनों दलों ने 2015 का विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ा था और चुनाव में स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद
नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बनाई थी। 2015 के चुनाव में राजद को 80, जद यू को 71 और कांग्रेस को 27 सीटें मिली थीं। वहीं विपक्षी एनडीए गठबंधन में शामिल भाजपा को 53, लोजपा को 2 रालोसपा को 2 और जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाले हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) को 1 सीट मिली थी। बिहार में विधान सभा की कुल 243 सीटें हैं। बहुमत के लिए यहां 122 विधायकों के समर्थन की जरूरत होती है।