कलाम ने जब देखा की उनकी कुर्सी अन्य कुर्सियों से बढ़ी है तो उन्होंने उसपर बैठने से मना कर दिया। उन्होंने अपनी कुर्सी पर उपकुलपति को बैठने के लिए कहा, जिन्होंने उसपर बैठने से मना कर दिया। इसके तुरंत बाद “जनता के राष्ट्रपति” के लिए दूसरी कुर्सी का इंतजाम किया गया।
एक बार पूर्व राष्ट्रपति ने वह सुझाव मानने से मना कर दिया था जब एक इमारत की दीवार पर टूटे कांच लगाने के लिए कहा गया था। उनका मानना था कि कांच चिडियों के लिए हानिकारक साबित होंगे। उस वक्त वह डीआरडीओ में कार्यरत थे। इमारत की सुरक्षा के लिए उनकी टीम ने यह सुझाव दिया था। लेकिन, कलाम का कहना था कि ऎसा करने से कोई भी चिडिया दीवार पर नहीं बैठ पाएगी।
एक बार युवाओं और किशोरों ने कलाम से मिलने के लिए समय मांगा। उन्होंने न सिर्फ मिलने के लिए समय दिया, बल्कि ध्यानपूर्वक उनके विचारों को भी सुना। जब 2002 में इस बात की घोषणा की गई की कलाम देश के अगले राष्ट्रपति होंगे, तो वह एक छोटे से स्कूल में भाषण देने चले गए। इस दौरान वह अपने साथ ज्यादा सुरक्षा भी नहीं लेकर गए। यही नहीं, जब स्कूल में बिजली चली गई तो उन्होंने स्थिति को संभाल लिया।
करीब 400 विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कलाम ने इस बात का ध्यान रखा कि बिजली कटौती के कारण कार्यक्रम में कोई असर नहीं पड़े। वह बच्चों के बीच में चले गए और उनसे कहा कि वे उन्हें घेर लें। इस दौरान उन्होने बिना माइक के विद्यार्थियों को संबोधित किया।
डीआरडीओ में कलाम के अधीन काम करने वाला एक सहयोगी जब अपने बच्चों को काम के दबाव के कारण प्रदर्शनी में नहीं ले जा पाए, तो पूर्व राष्ट्रपति खुद उन्हें वहां लेकर गए। राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार केरल के दौरे पर गए कलाम ने राजभवन में मेहमानों में जिस व्यक्ति को बुलाया वह था सड़क किनारे बैठने वाला मोची। उस मोची का एक छोटा से होटल भी था जहां कलाम राष्ट्रपति बनने से पहले अक्सर भोजन करते थे।