वहीं, पश्चिम बंगाल पुलिस ने भी दो ट्वीट कर दावा किया कि राज्य सरकार के सहमति लिए बिना पश्चिम बंगाल के करीब-करीब सभी इलाकों में सेना तैनात कर दी गई है। वहीं, आर्मी के पूर्वी कमांड ने बंगाल पुलिस के दावों का खंडन करते हुए ट्वीट किया कि आर्मी पश्चिम बंगाल पुलिस की पूरी जानकारी और उनके सहयोग से रुटीन एक्सरसाइज कर रही है। टोल प्लाजा पर आर्मी के कब्जे की आशंका गलत है। अगले ट्वीट में आर्मी ने बताया कि सभी उत्तर-पूर्वी राज्यों में रुटीन एक्सरसाइज हो रही है। इनमें असम के 18, अरुणाचल प्रदेश के 13, पश्चिम बंगाल के 19, मणिपुर के 6, नागालैंड के 5, मेघालय के 5, त्रिपुरा एवं मिजोरम के 1 स्थान शामिल हैं।
हर साल होती है एेसी कवायद
सेना ने कहा कि वह इस प्रकार की कवायद पूरे देश में सालाना तौर पर करती है। इस तीन दिवसीय अभ्यास का आज आखिरी दिन है। इसका मकसद यह होता है कि सेना को किसी आपात स्थिति में कितने वाहन उपलब्ध हो सकते हैं। रक्षा मंत्रालय के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) ने बताया कि कुछ जगहों से जरूरी आंकड़े जुटा लिए गए हैं और आर्मी को वहां से हटने को कहा गया है। उन्हें कल दूसरी जगहों पर तैनात किया जाएगा।
डरने की कोई बात नहीं : सेना
सेना का कहना है कि इस कवायद से डरने की कोई बात नहीं है और यह सरकार के आदेश के मुताबिक होता है। ममता बनर्जी ने जानना चाहा था कि क्या यह संघीय व्यवस्था पर हमला है। उन्होंने कहा था कि अवसर मिलने पर इस मुद्दे को लेकर मैं राष्ट्रपति से बात करेंगी। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘सेना हमारी संपत्ति है। हमें उनपर गर्व है। हमें बड़ी अपदाओं और सांप्रदायिक तनाव के दौरान सेना की जरुरत होती है।’
उन्होंने कहा था ‘मैं नहीं जानती कि क्या हुआ है। यदि छद्म अभ्यास है, तब भी राज्य सरकार को सूचित किया जाता है।’ ममता ने दावा किया कि टोल प्लाजा पर सेना तैनात होने के कारण लोगों में अफरा-तफरी है। संपर्क करने पर एक रक्षा प्रवक्ता ने कहा कि सेना साल में दो बार देशभर में ऐसा अभ्यास करती है जिसका लक्ष्य सड़कों के भारवहन संबंधी आंकड़े एकत्र करना होता है। इससे मुश्किल घड़ी में सेना को उपलब्ध कराया जा सके। विंग कमांडर एस. एस. बिर्दी ने कहा, ‘इसमें चौंकाने वाला कुछ भी नहीं है, क्योंकि यह सरकारी आदेश के अनुसार होता है।’