इस आर्टिकल में हम इस बारें में चर्चा करेंगे कि दूसरे बच्चे की प्रेगनेंसी के लिए उचित समय कौनसा है और दोनों बच्चों के बीच कम से कम कितना गैप होना चाहिए
कई बार देखने में आता है कि महिलाएं पहली प्रेगनेंसी के कुछ माह बाद दोबारा प्रेगनेंट हो जाती है, लेकिन क्या उनका यह कदम सही है। इस आर्टिकल में हम इस बारें में चर्चा करेंगे कि दूसरे बच्चे की प्रेगनेंसी के लिए उचित समय कौनसा है और दोनों बच्चों के बीच कम से कम कितना गैप होना चाहिए।
डेढ साल का गैप है बेस्ट
इस बारें में यदि डॉक्टर्स की राय को सही माना जाएं तो दो बच्चों की बीच डेढ़ साल का गैप एकदम परफैक्ट है। लेकिन यदि इस टाइम से पहले दूसरे बच्चे का चांस लिया जाता है तो इससे बच्चा मिसकैरिज होनी रिस्क बढ़ जाती है। इसके साथ ऐसे केस में प्री मैच्योर बेबी होना, बेबी का वजन सही न होना जैसी समस्याएं सामने आती है। होती है। वहीं मां को एनीमिया, यूट्रस इंफेक्शन जैसी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।
मां के स्वास्थ्य को खतरा
एक बच्चे के जन्म के बाद मां को पूर्ण रूप से ठीक होना आवश्यक है। क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान मां कि बॉडी कि एनर्जी और न्युट्रियंट्स निकल जाते है। ऐसे में बॉडी को फिर से नॉर्मल होने में और फिर से एक हेल्दी प्रेगनेंसी के लिए रिकवर करने में टाइम लगता हैं। ऐसे में कम से कम दो बच्चों के बीच कम अंतर के चलते मां के स्वास्थ्य पर पूरा खतरा बना रहता है।
3 साल का गैप
विशेषज्ञो का ऐसा मानना है कि एक बच्चे के जन्म के तीन साल में महिला का शरीर एक बार फिर से पूर्ण स्वस्थ्य हो जाता है। साथ ही देश कि पॉपुलेशन भी काफी हद तक कंट्रोल में रहती है। इसलिए भारतीय सरकार भी दो बच्चों के बीच तीन साल के गैप पर जोर देती है।
बेहतर होते रिश्ते
अगर दोनों बच्चों के बीच गैप ज्यादा है तो, ऐसे में बड़ा बच्चा छोटे बच्चे कि लालन पोषण में अहम रोल निभा सकता है। ऐसे में दोनों बच्चों के बीच भावनात्मक जुड़ाव बहुत अच्छा होता है। लेकिन साथ ही यह भी माना जाता है कि ऐसी परिस्थिति में बड़ा बच्चा मां बाप कि ज्यादा अटेंशन चाहता है।
इसलिए दूसरे बच्चे का प्लान करने से पहले थोड़ा सोच—विचार करके ही निर्णय लें।