टिकट के दावेदारों की अपनी-अपनी कहानी है, सभी जनता से यही कहते मिल जाएंगे कि पार्टी मुझे टिकट दे रही है।
रायबरेली. सदर सीट के लिए समाजवादी पार्टी को छोड़कर अन्य सभी दलों में प्रत्याशियों में घमासान मचा हुआ है। चाहे भाजपा, कांग्रेस या बसपा हो इन सभी पार्टियों के टिकट के दावेदारों की अपनी-अपनी कहानी है और सभी दावेदार जनता में यह कहते मिल जाएंगे कि पार्टी मुझे टिकट दे रही है। और सदर का अगला विधायक मैं ही बनूंगा। पर टिकट का निर्णय तो पार्टी ही करेगी कि किसे प्रत्याशी बनाया जायेगा।
रायबरेलीं सोनिया गांधी का गढ़ माना जाता है, जिसमें सदर की सीट की बात की जाये तो यह काफी महात्वपूर्ण माने जाने वाली सीट कही जाती है। सदर की सीट पर 1967 से लेकर 2012 तक के चुनाव में देखा जाये तो ज्यादा तर यहां पर कागं्रेस का दबदबा रहा है। इसके बाद दो बार जनता दल के प्रत्याशी अशोक कुमार सिंह को जनता ने 1989 और 1991 में विधायक चुना। वर्तमान की बात करें तो सदर की सीट से विधायक अखिलेश सिंह हैं वह लगातार पांच बार से जीतते आ रहे हैं। 1993 से लेकर 2002 तक लगातार काग्रेंस पार्टी के विधायक चुने गये। अखिलेश सिंह 2007 में निर्दलीय, 2012 में पीस पार्टी से चुनाव लड़ और भारी मतों से जीत हासिल की। अब अखिलेश सिंह ने अपनी पुत्री अदिती सिंह को काग्रेंस में शामिल करा दिया है। उम्मीद है कि कांग्रेस अदिति सिंह को सदर सीट से अपना प्रत्याशी बनाएगी।
सदर सीट को लेकर भाजपा पार्टी की बात करें तो 1967 से लेकर 2012 तक के चुनाव के इतिहास में दो बार चुनाव भाजपा प्रत्याशियों ने दूसरे नम्बर पर टक्कर देने की पूरी कोशिश की थी। 1993 में प्रदीप कुमार त्रिवेदी और 1996 में सन्तोष कुमार मिश्रा भाजपा के वे प्रत्याशी थे, जिन्हे उस समय चुनाव में उतारा गया था। जब भाजपा का इतना माहौल नहीं था फिर भी इन लोगों ने अपने को सदर सीट पर भाजपा पार्टी की पहचान दिलाने की कोशिश की थी।
भाजपा की निगाहें आज रायबरेली की सभी सीटों पर लगी हैं। पार्टी के जिलाअध्यक्ष दिलीप यादव का कहना है कि भाजपा रायबरेली में कम से कम तीन सीटों पर जीत हासिल करेगी। पार्टी का सर्वे प्रस्ताव पार्टी नेतत्व को भेज दिया गया है और आगे हो सकता है। पार्टी सदर सीट के प्रत्याशी का ही नहीं जिले के और भी सीटों के प्रत्याशियों की सूचना मांग सकती है। इसके बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष इस पर निर्णय लेगें कि किसे प्रत्याशी बनाया जाए यह अब पार्टी तय करेगी। अगर जिलाध्यक्ष की मानें तो सदर से जिले के बाहर का भी प्रत्याशी चुनाव में उतारा जा सकता है।
अगर विकास की बात की जाय तो भाजपा ने रायबरेली में मोदी सरकार की तरफ से काफी पैसा भेजा गया है। फिर चाहे वह रेलकोच हो या रेल पहिया कारखाना और एम्स को भी काफ बजट दिया जा चुका है और नमामी गंगा योजना के लिये भी बजट दिया गया है ।
भाजपा के जिलाअध्यक्ष का मानना है कि जल्द ही केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितीन गडकरी भी रायबरेली नवम्बर में आने की सम्भावना जतायी जा रही है और उन्होंने गांवों और हाइवे की सडकों का प्रस्ताव भी मांगा है, जिससे वह अपने कार्यक्रम में कुछ सडकों का शिलान्यास कर सकते हैं। सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री मोदी का रायबरेली में एक जनसभा का कार्यक्रम दिसम्बर में होने की सम्भावना जतायी गयी है, लेकिन आगे देखना यह होगा 2017 के विधानसभा में सोनिया गांधी के गण रायबरेली में काग्रेंस की माने जाने वाली सदर सीट किसके खाते में जायेगी। भाजपा क्या रंग दिखलाईगी यह तो चुनाव होने के बाद ही जनता अपने वोट से नेताओं को बतायेगी। कौन कितने पानी में है।