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रायगढ़

रेंगते कदमों को उड़ान की चाहत, जारी है संघर्ष, मंजिल का इंतजार

11 साल की उम्र में कैंसर के कारण एक युवती ने अपना पैर तो गंवा दिया,
लेकिन उसने अपनी जिंदगी से हार नहीं मानी।

रायगढ़Dec 05, 2016 / 01:00 pm

Piyushkant Chaturvedi

Flying creeping measures seeking, conflict continu

Flying creeping measures seeking, conflict continues, awaiting floor

मोहसिन खान/रायगढ़. 11 साल की उम्र में कैंसर के कारण एक युवती ने अपना पैर तो गंवा दिया, लेकिन उसने अपनी जिंदगी से हार नहीं मानी

और मुश्किल भरी जिंदगी से लड़ते हुए न सिर्फ उसने अपनी पढ़ाई जारी रखी बल्कि खुद चल नहीं पाती लेकिन वो औरों को रास्ता दिखा रही है। इस छात्रा के हौसले को केवड़ाबाड़ी बस स्टैण्ड में रोजाना देखा जा सकता है।

सरिया थाना क्षेत्र के ग्राम सूखापाली निवासी हेमलता नायक के पिता दीनदयाल कृषि कार्य कर अपने परिवार को भरण पोषण कर रहे हैं, लेकिन जब हेमलता 11 साल की उम्र में पहुंची, तो उसके दांए पैर में इन्फेंक्शन हो गया और उसके पैर का मांस बढऩे लगा।

परिवार की दयनीय हालत के बाद भी उसके पिता ने उसके इलाज के लिए उसे बुर्ला ले गए। यहां डॉक्टरों ने उसका ऑपरेशन कर बढ़ते हुए मांस को तो निकाल दिया, पर दो माह बाद फिर से वही परेशानी हेमलता शुरू हो गई।

बेटी की परेशानी को देखते हुए उसके पिता ने इलाज के लिए उसे चांपा ले गए। जहां डॉक्टरों ने उसे बताया कि उसे पैर का कैंसर है।

इसके बाद उन्हें सलाह दी, कि रायपुर के मेकाहारा व भिलाई में इसका ऑपरेशन हो सकेगा। तब हेमलता अपनी जिंदगी से पूरी तरह टूट चुकी थी, लेकिन उसने हार नहीं मानी और इलाज के लिए रायपुर पहुंची। जहां करीब छह माह तक उसका इलाज चला और उसे अपना एक पैर गवांना पड़ा।

इससे हेमलता की परेशानी और बढ़ गई, पर उसने एक लक्ष्य तय कर लिया और एक पैर से ही वह आगे की पढ़ाई शुरू करते हुए मन में इस बात को दबा कर रखी कि उसे एक प्रशासनिक अधिकारी बनना है।

इसके बाद उसने नवमीं की पढ़ाई के लिए एक पैर में स्कूल जाना शुरू किया और धीरे-धीरे उसने बीए की पढ़ाई तक पूरी कर ली। वर्ष 2014 में उसने साक्षर भारत मिशन के तहत परीक्षा दी।

जिसके बाद वह प्रेरक बनी और असाक्षरों को पढ़ाना शुरू कर दिया। तभी उसे लाइवलीहुड कॉलेज के बारे में जानकारी हुई और उसने वहां से फ्रंट ऑफिस कम रिस्पेशनिस्ट का कोर्स किया और प्लेसमेंट के तहत उसे बस स्टैण्ड में एनाउंसमेंट करने का काम मिल गया।

इसके बाद से वह अपने एक पैर से हर सुबह निर्धारित समय पर बस स्टैण्ड पहुंचती और यात्रियों को उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचने के लिए बस व उनके समय को बता रही है।

बनी सहारा
स्टैंड की नौकरी से उसे प्रतिमाह छह हजार रुपए प्राप्त होते हैं। इसमें से अपना खर्चा काटकर वह बाकी के बचे हुए पैसे अपने घर भेज देती है।

लक्ष्य आसमान छूने का , बनना चाहती है प्रशासनिक अधिकारी
हेमलता ने बताया कि वह अब बीए का नियमित छात्रा के रूप में पढ़ाई के बाद एमए की पढ़ाई करेगी। इसके साथ ही वह आईटीआई से कोपा (कम्पयूटर आपरेटर ऑफ प्रोगमिंग एसिस्टेंट) का कोर्स कर रही है।

इसके साथ ही पटवारी भर्ती के लिए भी आवेदन भरी है। हेमलता का कहना है कि वह एक प्रशासनिक अधिकारी के पद में खुद को देखना चाहती है।

8 घंटे की ड्यूटी लिए सुबह 6 बजे पहुंच जाती है केवड़ाबाड़ी बस स्टैंड
मुलत: सरिया क्षेत्र के ग्राम सूखापाली की रहने वाली हेमलता कुछ बनने के लिए एक पैर से वह रायगढ़ पहुंची और यहां एक हॉस्टल में रह कर बस स्टैण्ड में एनाउंसमेंट का काम कर रही है।

वह अपने आठ घंटे की ड्यूटी के लिए सुबह 8 बजे बस स्टैण्ड पहुंचती है और शाम छह बजे तक निरंतर यात्रियों को बसों की जानकारी देते रहती है।

उसने 4 नवबंर 2015 को नौकरी ज्वाइनिंग किया था और उसे अब एक साल हो चुके हैं और खुद बिना पैर वाली युवती दूसरे को रास्ता बता रही है।
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