कबीरधाम. जिले के कई पर्यटन स्थल ऐसे हैं, जहां सैलानियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं है। चाहे यहां के जलाशय हों, धार्मिक व पुरातात्विक स्थल या फिर बीहड़ जंगल स्थित जलप्रपात। पर्यटक मनोरंजन के नाम पर लापरवाही बरतते है और अपनी जिंदगी दांव पर लगा देते हैं।
पर्यटन के क्षेत्र में प्रदेश के नक्शे पर कबीरधाम जिले का भी नाम शुमार है। धीरे-धीरे ही सहीं, लेकिन यहां पर्यटन स्थलों में सैलानियों की तादात लगातार बढ़ती जा रही है। इस लिहाज से सरकारी तंत्र द्वारा उन्हें सुरक्षा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। जिला मुख्यालय से 45 किमी दूर पीड़ाघाट में 40 फीट ऊंचा वॉच टॉवर बनाया गया है। इससे बेसक ही पहाड़ी का मनोरम दृश्य दिखाई देता है, लेकिन सुरक्षा के लिहाज से काफी खतरनाक है। सुरक्षा की चेतावनी देने वाला कोई नहीं है। हालांकि किसी घटना के लिए व्यक्ति स्वयं जिम्मेदार है, लेकिन पर्यटकों को सचेत करने के लिए एक व्यक्ति की तैनाती आवश्यक है। ताकि वह समय-समय पर पर्यटकों को टोकते रहें और लोग सचेत रहे।
सैकड़ों फीट गहरी खाई
पर्यटन क्षेत्रों में सैलानियों को सुविधा के साथ सुरक्षा देनी भी जरूरी है। बोड़ला विकासखंड के दूरस्थ ग्राम बैरख के पास रानीदहरा जलप्रपात स्थित है। रानीदहरा जलप्रपात की सुंदरता को करीब से निहारने के लिए चट्टानों तक सीढिय़ां बनाई गई है। सीढिय़ों के एक ओर लोहे के रेलिंग लगे हैं, जो कमजोर हो गए हैं। साथ ही मुख्य धारा के सामने कोई सुरक्षा घेरा नहीं है। पर्यटक की थोड़ी सी चूक जान पर बन सकती है।
अराजक तत्वों का खतरा
जिले में कुछ जलाशय ऐसे हैं, जहां सालभर लोग सैर-सपाटा करने जाते हैं। इनमें सरोदा, छीरपानी, सुतियापाट और कर्रानाला बैराज जलाशय शामिल हैं। इन जलाशयों में अक्सर अराजक तत्वों के लोग भी पहुंचते हैं, जहां यहां शराब, गांजा व अन्य मादक पदार्थों का सेवन करने के बाद उसे जलाशय में फेंक देते हैं। यदि प्रशासन इसी तरह आंखें मूंदे बैठा रहा, तो परिणाम कुछ भी हो सकता है।
वारदात का डर
जिले में चोरी, लूट, हत्या व अन्य अपराधों का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। खासतौर से बीहड़ जंगल स्थित पर्यटन स्थलों पर सैलानियों के सुरक्षा की अनदेखी की जा रही है। पर्यटन क्षेत्रों में न सिर्फ सैलानी बल्कि कई असमाजिक तत्व भी घूमने आते हैं, जो चोरी व लूट जैसी वारदातों का डर बना रहता है।