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छत्तीसगढ़ के चंदखुरी में है विश्व का इकलौता कौसल्या मंदिर, माता की गोद में हैं रामलला

locationरायपुरPublished: Jul 27, 2017 11:39:00 am

Submitted by:

deepak dilliwar

रदेश की राजधानी रायपुर से तकरीबन 25 किलोमीटर दूर चंदखुरी गांव है। 126 तालाब वाले इस गांव में सात तालाबों से घिरे जलसेन तालाब के बीच एक एेसा मंदिर है, जहां भगवान श्रीराम की माता कौसल्या की प्रतिमा स्थापित है।

Chhattisgarh has one of the world's only Kausalya

Chhattisgarh has one of the world’s only Kausalya temples

चन्द्रमोहन द्विवेदी/रायपुर. प्रदेश की राजधानी रायपुर से तकरीबन 25 किलोमीटर दूर चंदखुरी गांव है। 126 तालाब वाले इस गांव में सात तालाबों से घिरे जलसेन तालाब के बीच एक एेसा मंदिर है, जहां भगवान श्रीराम की माता कौसल्या की प्रतिमा स्थापित है। कहा जाता है कि विश्व में यह इनका इकलौता मंदिर है। स्थानीय लोगों के मुताबिक चंदखुरी ही माता कौसल्या की जन्मस्थली है। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि माता कौसल्या व भगवान श्रीराम की प्रतिमा गांव के जलसेन तालाब से ही प्राप्त हुई थी, जो आठवीं शताब्दी की है। हालांकि पुरातत्व विभाग इसे प्रमाणित नहीं करता। विभाग के पास कोई जानकारी नहीं है।

एक ओर, कौसल्या माता के इकलौते मंदिर को लेकर लोगों में काफी आस्था है। वहीं, दूसरी ओर, इसे धार्मिक या पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने की ओर सरकार आंखें मंूदे बैठी है। मंदिर का पूरा संचालन लोगों से मिले दान से हो रहा है। एक बार यहां मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की धर्मपत्नी वीणा सिंह भी दर्शन के लिए पहुंची थीं और उस दौरान उन्होंने इस स्थान को विकसित करने के लिए आश्वासन दिया था।

कौशल प्रदेश से पहचान
माता कौसल्या के पिता सुकौशल थे, जिन्हें स्थानीय निवासी भानुमंत राजा के नाम से जानते हैं। उन पर ही छत्तीसगढ़ को पहले कौशल प्रदेश के नाम से जाना जाता था। वहीं माता सुबाला/अमृतप्रभा थीं। रामचरित मानस व वाल्मिकी रामायण में भी कौशल प्रदेश का उल्लेख मिलता है।

लक्ष्मण को बचाने वाले वैद्य ने यहां त्यागे प्राण

सुषेण/सुखैन वैद्य का उल्लेख रामायण में हुआ है। रामायण के अनुसार सुषेण वैद्य लंका के राजा राक्षस-राज रावण का राजवैद्य था। जब रावण के पुत्र मेघनाद के साथ हुए भीषण युद्ध में लक्ष्मण मूर्छित हो गए, तब सुषेण वैद्य ने ही लक्ष्मण की चिकित्सा की थी। उसके यह कहने पर कि मात्र संजीवनी बूटी के प्रयोग से ही लक्ष्मण के प्राण बचाए जा सकते हैं, राम भक्त हनुमान ने वह बूटी लाकर दी और लक्ष्मण के प्राण बचाए जा सका। कहा जाता है कि लंका से भगवान राम के साथ सुषेण/सुखैन वैद्य भी आए थे और यहां चंदखुरी में ही उन्होंने प्राण त्यागा था।

ये मंदिर प्रचार से वंचित
यह मंदिर छत्तीसगढ़ पर्यटन के नक्शे पर खास महत्व नहीं रखता। इसका प्रचार नहीं के बराबर है। जिस तालाब के बीच मंदिर स्थित है, उसकी दुर्गति हो रही है। साफ-सफाई की कमी है। पूरे दिन में करीब 100 लोग ही यहां आते हैं। जिन्हें पता है, वे यहांं मन्नत मांगने भी आते हैं और सीताफल के पेड़ में बांध जाते हैं नारियल।

20 लाख रुपए का प्रस्ताव बना
माता कौसल्या मंदिर और परिसर के सौंदर्यीकरण व जीर्णोद्धार के लिए प्रयास किया गया है। मैंने 20 लाख रुपए का प्रस्ताव बनाकर धर्मस्व विभाग को प्रेषित किया है।
नवीन मारकण्डे, क्षेत्रीय विधायक

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