scriptKEYNOTE: सिर्फ पत्रिका ऐसा अख़बार जिसका उद्देश्य धन कमाना नहीं- जोगी  | Raipur: Ajit jogi said in patrika NOTE 2016, true politicians is who make promises and complete it | Patrika News
रायपुर

KEYNOTE: सिर्फ पत्रिका ऐसा अख़बार जिसका उद्देश्य धन कमाना नहीं- जोगी 

पत्रिका KEY NOTE 2016 में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कहा कि चुनाव के समय झूठे वादे एेसा आदर्श है, जिसे स्पर्श करना मुश्किल है।

रायपुरSep 25, 2016 / 07:02 pm

अभिषेक जैन

Ajit jogi on key note

patrika keynote 2016

रायपुर. राजनीति और झूठे वादें दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। इससे राजनीति का स्तर भी गिर रहा है। राजनीति के स्तर को बनाए रखने के लिए ‘पत्रिका’ ‘की-नोट-2016’ के माध्यम से पहल की तो राजनेताओं ने भी बेबकी से अपनी बातें रखीं। पेश है राजनेताओं की राय-

आदिवासी गांव से प्रशासनिक अधिकारी और मुख्यमंत्री तक का पद हासिल करने वाले छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का कहना है, चुनाव के समय झूठे वादे एेसा आदर्श है, जिसे स्पर्श करना मुश्किल है। इसका मतलब यह नहीं कि हमें प्रयास नहीं करना चाहिए। चुनाव में वादें करने पड़ते हैं। यदि वादें नहीं किए तो मतदाता वोट नहीं देगा। अच्छा राजनेता वहीं होता है, जो जनता से ढेर सारे वादे करे और यदि वादे पूरे नहीं होते हैं, तो आम जनता को वादा पूरा नहीं होने का कारण बताकर संतुष्ट कर सके। वादे करना और उन्हें पूरे नहीं करना यह चलन में आ गया है।

अब सवाल यह है कि इस पर कैसे रोक लगे? अंतत: हमारी मालिक तो जनता ही है। हम जनता के वोट से सत्ता तक पहुंचे हैं। चुनाव में पैसे का दुरुपयोग बहुत बढ़ गया है। बिना पैसे के चुनाव संभव नहीं है। जिसके पास पैसा है, वो कैसे भी चुनाव जीत जाता है। चुनाव में खर्च पर रोक लगाना सबसे जरूरी है। खर्च की सीमा तय करने चुनाव लडऩे के लिए एक समतल जमीन सभी को देना जरूरी है। चुनाव से जुड़ी कमेटियां हमेशा चुनाव सुधार के लिए कई सुझाव देती हैं, लेकिन वो लागू नहीं हो पातीं। अभी भी प्रत्याशियों के लिए खर्च की सीमा तय है, लेकिन राजनीतिक पार्टियों के लिए कोई सीमा नहीं है। 

यह तब है, जब पार्टियां यह बताने को तैयार नहीं कि उन्हें चंदा कितना और कहा से मिलता है। एक ने कहा कि राजनेता 100-100 करोड़ रुपए खर्च कर चुनाव जीत रहे हैं। एेसे नेता वादों को क्यों पूरा करेंगे। जबकि उन्हें पता है कि अगली बार वो सवा सौ करोड़ लगाकर चुनाव जीत जाएंगे। इसके बाद वो 1000 करोड़ रुपए कमाएगा। यही चुनावी परिदृश्य की हकीकत है। इन सब को रोकने के लिए प्रत्याशियों को कम खर्च में चुनाव जीतने के योग्य बनाना होगा। कानून, संविधान और परंपरा में इसकी व्यवस्था करनी होगी। राजनीतिक दीवारों से ऊपर उठकर जो पार्टी वादे पूरे नहीं करती है, उसे कभी दण्ड नहीं मिलता। वहीं पार्टी लुभाने वादे फिर से करती है और फिर जीत कर आ जाती है। इसमें दोष किसका है?

‘पत्रिका’ का उद्देश्य धन कमाना नहीं
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कहा, ‘पत्रिका’ ने बहुत कम समय में अपनी विश्वसनीयता हासिल की है। पिछले कुछ सालों से इसके संघर्ष को हम भी देख रहे हैं। 80 से 90 फीसदी अखबार कारार्पोरेट हाउस से जुड़े हुए हैं। ‘पत्रिका’ एक अपवाद है। ‘पत्रिका’ एेसे मालिक के द्वारा संचालित होता है, जिसका उद्देश्य धन कमाना नहीं हैं। 
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