जब गांव से आए कलाकार, तब सब के सामने होगा असल सिनेमा: राकेश ओमप्रकाश मेहरा
जिस दिन गांव से कलाकार निकलकर सामने आएंगे, तब ही असल सिनेमा हमारे सामने होगा। जो हमारे सामने होता है…
रायपुर. जिस दिन गांव से कलाकार निकलकर सामने आएंगे, तब ही असल सिनेमा हमारे सामने होगा। जो हमारे सामने होता है, उस पर बनाई गई फिल्म हमें कहीं ज्यादा स्वीकार्य होती है और यह जुडऩे की अहसास की तरह है। मैं भी अपनी फिल्मों के लिए सब्जेक्ट का चयन इसी आधार पर करता हूं।
यह कहना था मशहूर फिल्म निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा का। ‘पत्रिका’ आइडिया फेस्ट ‘की-नोट’ में शिरकत करने राकेश ओमप्रकाश मेहरा अपनी आगामी फिल्म ‘मिर्जिया’ के लीड एक्टर हर्षवर्धन कपूर एवं सैयमी खेर के साथ पहुंचे थे। उनकी फिल्म के साथ ही सिनेमा से जुड़े अनेक मुद्दों पर राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने बेबाक बात की। की-नोट का एक सत्र सिनेमा को समर्पित रहा।
इस पर बात करने छोटे डॉक्यूमेंट्री व एड फिल्मों से कॅरियर की शुरुआत करते हुए हिन्दी सिनेमा में अपनी अलग लाइन बनाकर पहचान हासिल करने वाले फिल्म निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा मौजूद थे। ‘हैप्पीनेस इंडेक्स’ की थीम पर बात आगे बढ़ी।
इस दरम्यान आइडिया ऑफ हैप्पीनेस के सवाल पर राकेश मेहरा ने कहा, मैं बहुत खुश हूं कि और आभारी हूं ‘पत्रिका’ समूह का, जो मुझे विचार कुंभ में शामिल होने का मौका मिला। यही मेरे लिए हैप्पीनेस है। फिल्मों के माध्यम से हैप्पीनेस ढूंढने पर उन्होंने कहा कि फिल्म किसी समस्या का समाधान नहीं देते, हम केवल कहानी कहते हैं। फिल्म जीवन की तरह होती हैं और जीवन में रस होना चाहिए। दादी-नानी की कहानी की तरह हमें अंत में उस मैसेज को ढूंढने का प्रयास करना चाहिए।
बॉलीवुड शब्द पर राकेश ओमप्रकाश मेहरा का कहना था, ‘मैं हिन्दी फिल्म जगत को रिप्रजेंट करता हूं, मुझे पता नहीं बॉलीवुड किधर है।’ हिन्दी फिल्म सिनेमा हमारे आसपास की बातें करता है। टॉयलेट की समस्या को लेकर अपनी अगली फिल्म के लिए काम कर रहे राकेश ओमप्रकाश मेहरा कहते हैं, उनके और दर्शकों को भी हकीकत से जुड़ी कहानियां आकर्षित करती हैं।
‘पत्रिका’ द्वारा परिवर्तन की पहल सराहनीय
इस मौके पर ‘कीनोट’ जैसे आयोजन व निष्पक्ष खबरों के जरिए परिवर्तन की बात कहने वाले ‘पत्रिका’ समाचार पत्र की सराहना फिल्म निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने की। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी खुशी इस बात कि है कि यहां परिवर्तन की बात हो रही है। स्वयं से परिवर्तन की ओर प्रेरित करते हुए राकेश ने कहा, परिवर्तन की शुरुआत उसी से हो सकती है, जिसका चेहरा आप रोज सुबह उठकर आईने में देखते हैं। अगर आप खुद में बदलाव कर लें तो खुशी उसी दिन आ जाएगी।