रायपुर. छत्तीसगढ़ में बाल विवाह करने के मामले में नया तथ्य सामने आया है। यहां लड़कियों की तुलना में लड़के कम उम्र में बाल विवाह के बंधन में बंध रहे हैं। एनुअल हेल्थ सर्वे रिपोर्ट की माने तो प्रदेश में लड़कियों की तुलना में 7.1 फीसदी अधिक लड़कों का बाल विवाह हो रहा है। इन आंकड़ों से साबित होता है कि बाल विवाह रोकने के लिए सरकारी कौशिशें पूरी तरह कामयाब नहीं हो रहे हैं।
जारी रिपोर्ट के मुताबिक अन्य राज्यों की तुलना करे तो छत्तीसगढ़ की स्थिति राजस्थान, बिहार, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और झारखंड से बेहतर है। छत्तीसगढ़ में 11.4 फीसदी लड़कों और 4.3 फीसदी लड़कियों की कम उम्र में शादी हो जाती है। सबसे अहम बात यह है कि मुख्यमंत्री के गृह जिलों में सबसे अधिक बाल विवाह के आंकड़े सामने आए हैं। कांकेर में 4.6 फीसदी लड़के और रायगढ़ में 1.4 फीसदी लड़कियों का बाल विवाह हो रहा है। यहां प्रदेश में सबसे कम की स्थिति है। सबसे अधिक बाल विवाह कवर्धाा में हो रहा है। यहां लड़कों का प्रतिशत 27.3 और लड़कियों का प्रतिशत 11.9 हैं।
36.5 फीसदी महिलाएं अशिक्षित
छत्तीसगढ़ में शादीशुदा 36.5 फीसदी महिलाएं अशिक्षित है। आदिवासी बहुल दंतेवाड़ा जिले में शिक्षा की रोशनी नहीं पहुंची है। यहां की 72 फीसदी शादीशुदा महिलाएं अशिक्षित है। वहीं एजुकेशन हब माने जाने वाले दुर्ग जिले में 21.5 फीसदी महिलाएं पढ़ी-लिखी नहीं है। वर्ष 2010-13 के बीच किए गए इस सर्वे में नौ राज्यों की 15 से 49 वर्ष की महिलाओं को शामिल किया गया था। एएचएस की रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ में बीते तीन साल में महिलाओं में शिक्षा का स्तर सिर्फ 3.5 फीसदी बढ़ा है।
बाल विवाह में सजा का प्रावधान
बाल विवाह पर कानूनी प्रतिबंध लगा हुआ है। बाल विवाह के आरोपियों को 2 साल तक का कठोर कारावास या 1 लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों एक साथ हो सकते हैं। बाल विवाह कराने वाले माता पिता, रिश्तेदार, विवाह कराने वाला पंडित, काजी आदि भी हो सकता है। जिसको तीन महीने तक की कैद और जुर्माना हो सकता है।