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13 साल से तरल आहार पर जी रही थी ये लड़की,सर्जरी के बाद पहली बार चखा केक

Published: Oct 29, 2015 04:36:00 pm

Submitted by:

barkha mishra

ओहोद एक दुर्लभ बीमारी एसोफेजियल लेइओमायोमेटोसिस से
पीड़ित थी जो कि खाने की नली में एक बिनाइन ट्यूमर था। यह एक 12 सेमी का
ब्‍लॉकेज था और उसके दिल से भी बड़े आकार का था, जिसके कारण वो कुछ खा पी
नही सकती थी। एशियन इंस्‍टीट्यूट ऑफ ऑनकोलॉजी में उसकी सर्जरी हुई और
ट्यूमर निकाल दिया गया।

छोटी सी आयु में हर बच्चे का मन करता है कि वो चॉकलेट, या केक खाए। लेकिन मक्का में 13 साल की रहने वाली ओहोद अब्दोअहमद का यह सपना बचपन से ही अधूरा था। लेकिन हाल ही में ओहोद अपना एक्साईटमेंट रोक नही पाई। क्योकि लम्बे समय के बाद उसका यह सपना मुम्बई में पूरा हो गया।

ओहोद एक दुर्लभ बीमारी एसोफेजियल लेइओमायोमेटोसिस से पीड़ित थी जो कि खाने की नली में एक बिनाइन ट्यूमर था। यह एक 12 सेमी का ब्‍लॉकेज था और उसके दिल से भी बड़े आकार का था, जिसके कारण वो कुछ खा पी नही सकती थी। एशियन इंस्‍टीट्यूट ऑफ ऑनकोलॉजी में उसकी सर्जरी हुई और ट्यूमर निकाल दिया गया।


ओहोद का परिवार सभी पड़ोसी देशों में उपचार के लिए भटक चुके थे जिसमें मिस्र भी शामिल हैं लेकिन उन्‍हें मुंबई में एशियन इंस्‍टीट्यूट आॅफ ऑनकोलॉजी में जाकर सही रास्‍ता मिला जहां सही ढंग से डायग्‍नोज किया गया और सफलतापूर्वक इलाज भी हुआ।

चॉकलेट केक खाकर शुरु की नई जिन्दगी


सालों से तरल आहार खा रही ओहोद ने अपने इस नए जीवन की यात्रा की शुरूअात चॉकलेट केक खाकर की। उसने कहा कि वह भारत को हमेशा याद रखेगी जहां उसका सपना पूरा हुआ।

पांच बच्‍चों में सबसे छोटी ओहाेद को इस बीमारी के लक्षण तीन साल की उम्र से शुरू हो गए थे। परिवार को तब पता चला जब कुछ भी खाने पर वह उल्‍टी शुरू कर देती थी।

उनके परिवार का कहना है कि उसे तरल आहार पर रखा गया था और वह केवल आइसक्रीम खा सकती थी। इसके अलावा जब भी कुछ और खाने की कोशिश करती उसे उल्‍टी हो जाती थी। मध्‍य पूर्व में हर एक अस्‍पताल में उन्‍होंने इलाज के लिए कोशिश की। लेकिन चिकित्‍सक इस समस्‍या का समाधान नहीं ढूंढ पाए।

ओहोद का इलाज करने वाले एशियन इंस्‍टीट्यूट ऑफ ऑनकोलॉजी और लीलावती हॉस्पिटल के सर्जिकल ऑनकोलॉजिस्‍ट डॉ. संजय शर्मा ने बताया कि एंडोस्‍कोपी और बायोस्‍कोपी के जरिए खाने की नली के ब्‍लॉकेज का पता चला। सीटी स्‍केन से पता चला कि ब्‍लाॅकेज गले तक चला गया है जो कि वॉइस बॉक्‍स से दो सेमी नीचे थे।

वे कहते हैं ‘ विस्‍तार अंग कहे जाने वाली भोजन नली इस ट्यूमर के कारण बढ़ गई थी जिससे कि पाचन प्रक्रिया प्रतिबंधित हो गई थी। इसलिए जब खाना पच नहीं पाता था तो वह लगातार उल्‍टी करती थी। सर्जरी के अलावा कुछ रास्‍ता नहीं था। ब्‍लॉकेट भोजन नली के निचले सिरे तक 17-18 सेमी तक फैल गया था।’

4 घंटे चली सर्जरी


8 अक्‍टूबर को चिकित्‍सकों की टीम ने चार घंटे लंबी सर्जरी कर भोजन नली के ट्यूमर ग्रस्‍त हिस्‍से को हटा दिया और इसे नए के साथ रिप्‍लेस किया। शरीर पर कोई भी निशान से बचने के लिए इसे सावधानीपूर्वक किया गया ताकि उन्‍हें भविष्‍य में कोइर् दिक्‍कत न हो।

शर्मा ने बताया ‘सर्जरी के आठ दिन बाद उसे खाने के लिए अनुमति दी थी और उसने कहा कि वह सबसे पहली चीज एक केक खाना चाहती है। वह जब केक रूप में आया तब मुश्किल से अपना एक्‍साइटमेंट कंट्रोल कर पाई और उसने मुझसे इसे काटने के लिए पूछा। हमने साथ केक काटा और आखिरकार 13 साल की उम्र में उसने हमारे साथ खाने की यात्रा शुरू की।

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