राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरूवार को कहा कि मीडिया ने हमेशा व्यक्तिगत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन किया है।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरूवार को कहा कि मीडिया ने हमेशा व्यक्तिगत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन किया है।
मुखर्जी ने मलयाला मनोरमा के पूर्व संपादक और प्रकाशक के.एम. मैथ्यू की आत्मकथा ‘द ऐट्थ रिंग’ के अंग्रेजी संस्करण की पहली प्रति प्राप्त करने के अवसर पर कहा कि देश में मीडिया ने हमेेशा व्यक्तिगत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन किया है।
उन्होंने व्यक्तिगत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से मीडिया के समझौता नहीं करने पर उसकी सराहना की। राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय पत्रकारिता का इतिहास देश की आजादी के आंदोलन से जुड़ा रहा है। उन्होंने कहा कि ईस्ट इंडिया कंपनी के समय से ही ‘हिक्की गजट’ ने आम लोगों की समस्याओं को उजागर किया था।
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कई राष्ट्रीय नेताओं ने समाचार पत्रों की स्थापना की या उससे उनका नजदीकी संबंध रहा। मुखर्जी ने कहा कि 1937 में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने ‘द मार्डन रिव्यू आॅफ कलकत्ता’ में छद्म नाम से अपनी ही तानाशाही प्रवृतियों की आलोचना की। लोगों को आश्चर्य हुआ कि नेहरू की आलोचना करने की हिम्मत कौन कर रहा है। बाद में लोगों को पता लगा कि आलोचना को बढ़ावा देने के लिए नेहरू ने यह लेख खुद लिखा था।
मुखर्जी ने भरोसा जताया कि देश में मीडिया तानाशाही प्रवृतियों के खिलाफ संघर्ष करता रहेगा और आधुनिक समय की चुनौतियों से निपटने में कामयाब होगा। उन्होंने समाज के प्रति प्रतिबद्धता और पत्रकारिता को मिशन की तरह अपनाने के लिए मनोरमा समूह की प्रशंसा की।
उन्होंने कहा कि इस समूह ने उच्च मूल्यों के विस्तार और उनको बनाए रखने में अग्रणी भूमिका निभाई है। इस अवसर पर मलयाला मनोरमा के मुख्य संपादक मेमन मैथ्यू, प्रसिद्ध न्यायविद एंव पूर्व सांसद फली.एस. नरीमन और एनडीटीवी के फाउंडर प्रणव रॉय भी मौजूद थे।